कुछ महीनों में भूकंप के कई झटके झेल चुकी है दिल्ली, जानें जानकारों की राय
कुछ महीनों में भूकंप के कई झटके झेल चुकी है दिल्ली, जानें जानकारों की राय
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एक तरफ देश में कोरोना वायरस का प्रकोप चारों और फैला हुआ है. वही, दूसरी ओर दिल्ली में बीते डेढ़ महीने में दस से अधिक बार भूकंप आ चुके हैं. लगातार भूकंप आने को एक्सपर्ट सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरीके से देख रहे हैं. कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि बार-बार आ रहे भूकंपों को किसी बड़े भूकंप की आहट मानना पूरी तरह सही नहीं है. दूसरी तरफ यह भी संभव है कि छोटी तीव्रता के ये भूकंप किसी बड़े भूकंप की संभावना को कम कर रहे हों.

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आपकी जानकारी के ​लिए बता दे कि आईआईटी जम्मू के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर चंदन घोष का कहना है कि दिल्ली उत्तरी क्षेत्र में आती है. भूकंप के लिहाज से यह जोन-4 में है, इसलिए यह संवेदनशील है. पर्यावरण में बदलाव के चलते भूकंप के केंद्रों में भी बदलाव आ रहा है. यह प्लेटों के बदलाव के चलते हो रहा है. दिल्ली हिमालय के निकट है, जो भारत और यूरेशिया जैसी टेक्टॉनिक प्लेटों के मिलने से बना था. धरती के भीतर की इन प्लेटों में होने वाली हलचल की वजह से दिल्ली-एनसीआर, कानपुर और लखनऊ जैसे इलाकों में भूकंप का खतरा सबसे ज्यादा है. दिल्ली के पास सोहना, मथुरा और दिल्ली-मुरादाबाद तीन फॉल्ट लाइन मौजूद हैं, जिनके चलते बड़े भूकंप की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. हालांकि, कहा यह भी जा रहा है कि छोटे-छोटे भूकंपों से किसी बड़े भूकंप के आने की संभावना कम भी हो सकती है. दिल्ली रिज क्षेत्र कम खतरे वाला क्षेत्र है, वहीं मध्यम खतरे वाले क्षेत्र हैं- दक्षिण पश्चिम, उत्तर पश्चिम और पश्चिमी इलाका. सबसे ज्यादा खतरे वाले क्षेत्र हैं- उत्तर पूर्वी क्षेत्र. भूकंप के खतरे को मापने के लिए अब पैमानों में भी बदलाव आया है.

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अपने बयान में आगे प्रोफेसर घोष का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में अभी इस बात का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है कि फॉल्ट लाइन मूवमेंट, ग्राउंड वाइब्रेशन, बिल्डिंग रिस्पांस को आपस में आधार बना किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जाए. वही, आईआईटी रूड़की के प्रोफेसर एम एल शर्मा कहते हैं कि दिल्ली-एनसीआर में लगातार आ रहे भूकंप के बारे में कोई आकलन करना गलत होगा. दिल्ली-एनसीआर में मौजूद फॉल्ट की वजह से ये भूकंप आ रहे हैं. कभी-कभार यह फ्रीक्वेंसी बढ़ जाती है तो कभी कम हो जाती है. बेहतर यह है कि हमें भूकंप बचाव रोधी उपाय अपनाने चाहिए. पुरानी इमारतों, जगहों की रेट्रोफिटिंग की जानी चाहिए. आईआईटी कानपुर के नेशनल इंफॉर्मेशन सेंटर ऑफ अर्थक्वेक इंजीनियरिंग के संयोजक प्रोफेसर दुर्गेश सी राय का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में जिस तरह के लोकल फॉल्ट सेस बार-बार भूकंप आ रहे हैं उससे किसी बड़े भूकंप की उम्मीद कम है. उन्होंने कहा कि हिमालय बेल्ट में तीव्रता से आने वाले भूकंप दिल्ली-एनसीआर को प्रभावित कर सकते हैं. अगर वहां ऐसा लगातार घटता है तो यह खतरे की घंटी हो सकती है. ऐसे में सबसे प्रमुख यह है कि हम अपने घरों को भूकंप रोधी बनाए.

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