दुनियाभर में नई शोध के मामले में भारत नाम कमा रहा है. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मद्रास के शोधकर्ताओं ने मिट्टी और चूना पत्थर को मिलाकर ऐसा कंक्रीट तैयार किया है जो सीमेंट की जगह ले सकता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि नए कंक्रीट के माइक्रोस्ट्रक्चरल डेवलपमेंट और स्थायित्व के बीच एक संबंध है, जो निर्माण उद्योग के लिए सामान्य सीमेंट की तुलना में कहीं अच्छा साबित हो सकता है और पर्यावरण के लिए भी यह बेहद अनुकूल है. बता दें कि कंक्रीट दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली निर्माण सामग्री है. हर साल सात घन किलोमीटर कंक्रीट का निर्माण किया जाता है.
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इस मामले को लेकर शोधकर्ताओं ने कहा, ‘पारंपरिक कंक्रीट सीमेंट, रेत, पत्थरों के छोटे टुकड़ों और पानी को मिलाकर तैयार किया जाता है. रासायनिक प्रतिक्रिया के कारण तैयार करने के कुछ घंटों बाद यह कठोर हो जाता है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमारे पास जो सीमेंट आता है उसे रासायनिक और खनिज योजक अद्वितीय गुणों से युक्त कर देते हैं, जिसके चलते यह टिकाऊ बन जाता है.
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अपने संबोधन में आगे आइआइटी मद्रास में सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर मनु ने कहा, ‘दुनिया भर में वैकल्पिक कंक्रीट के कुशल बाइंडर्स विकसित करने के लिए तमाम तरह के अनुसंधान हो रहे हैं, जो और अधिक टिकाऊ कंक्रीट का उत्पादन करने में मदद कर सकते हैं. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) ने भी सीमेंट उद्योग को विघटित करने के लिए सीमेंट के विकल्पों को तैयार करने की आवश्यकता पर जोर दिया है. क्योंकि इससे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है.
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