कौन है अयोध्या राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास? 32 सालों से कर रहे है रामलला की पूजा
कौन है अयोध्या राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास? 32 सालों से कर रहे है रामलला की पूजा
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लखनऊ: श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर बनकर तैयार है, जिसकी प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को होगी। मंदिर के उद्घाटन, अभिषेक एवं प्राण-प्रतिष्ठा की तकरीबन सारी तैयारियां हो चुकी हैं। राम मंदिर को लेकर चल रही खबरों के बीच मंदिर के पुजारियों की चर्चा भी तेज है। मंदिर में रामलला की पूजा एवं सेवक के तौर पर 3000 आवेदकों में 50 पुजारियों का चयन हुआ है। किन्तु बात करें उस पुजारी के बारे में जिन्हें अयोध्या राम मंदिर का मुख्य पुजारी कहा जाता है। इनका नाम है पंडित सत्येंद्र दास जी।

कौन हैं सत्येंद्र दास
सत्येंद्र दास राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी हैं। वे आज से नहीं बल्कि बीते 32 वर्षों से रामलला की पूजा करते आ रहे हैं। रामलला की पूजा के लिए उनका चयन 1992 में बाबरी विध्वंस से 9 महीने पहले हुआ था। सत्येंद्र दास की आयु अब 80 वर्ष हो चुकी है, मगर इसके बाद भी उनके स्थान पर रामलला की पूजा के लिए अन्य मुख्य पुजारी का चयन नहीं हुआ बल्कि सत्येंद्र दास ही मुख्य पुजारी के तौर पर नए मंदिर में रामजी की पूजा करेंगे। सत्येंद्र दास जी ने स्वयं कहा था कि, मैंने रामलला की सेवा में तकरीबन 3 दशक बिता दिए हैं तथा आगे जब भी अवसर प्राप्त होगा तो बाकी जिंदगी भी उन्हीं की सेवा में बिताना चाहूंगा।

सत्येंद्र दास की जीवन: 
सत्येंद्र दास संत कबीरनगर के रहने वाले हैं। वे बचपन से ही अयोध्या में रहते थे। इसलिए उन्हें अपने आस-पास धार्मिक माहौल मिला था। अभिदास जी जिन्होंने 1949 में रामजन्म भूमि के गर्भगृह में प्रतिमाएं रखी थी, ये उनसे बहुत प्रभावित हुए। अभिदास जी का सत्येंद्र दास के पिता से संपर्क अच्छा था।
सत्येंद्र दास जी पर धर्म एवं आध्यात्म का गहरा प्रभाव पड़ा तथा उन्होंने पिता के समक्ष संन्यासी बनने की इच्छा व्यक्त की। पिताजी ने भी कोई विरोध नहीं किया बल्कि उन्हें बहुत खुशी हुई। तत्पश्चात, सत्येंद्र दास जी भगवान की सेवा के लिए चले गए।

1976 में की अध्यापक की नौकरी: 
सत्येंद्र दास ने 1975 में संस्कृत विद्यालय से आचार्य में उत्तीर्ण किया तथा 1976 में उन्हें संस्कृत महाविद्यालय के व्याकरण विभाग में सहायक अध्यापक की नौकरी मिल गई। मगर अपने काम के साथ वे राम जन्मभूमि में भी आते-जाते थे तथा पूजा-पाठ से जुड़े कार्यों में अपना योगदान देते रहे। इसी प्रकार एक वक़्त ऐसा आया कि 1992 में उन्हें राम जन्मभूमि का मुख्य पुजारी बना दिया गया।

1992 में सत्येंद्र दास बने मुख्य पुजारी: 
1992 में राम जन्मभूमि में मुख्य पुजारी के लिए सत्येंद्र दास के नाम का फैसला किया गया तथा 1 मार्च 1992 को उनकी नियुक्ति हो गई। तत्पश्चात, सत्येंद्र दास राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी बने तथा उन्होंने अपने साथ 4 सहायक पुजारी भी रखे।

100 रुपये मिलता था वेतन: 
जब 1992 में राम जन्मभूमि में मुख्य पुजारी के तौर पर सत्येंद्र दास की नियुक्ति हुई तो उन्हें 100 रुपये पारिश्रमिक प्राप्त होता था। हालांकि इसके साथ ही वे स्कूल में पढ़ाते भी थे, जहां से उन्हें तनख्वाह भी प्राप्त होती थी। सत्येंद्र दास 2007 में अध्यापक पद से रिटायर हो गए तथा तत्पश्चात, पुजारी के रूप में उनका पारिश्रमिक 13 हजार कर दिया गया तथा सहायक पुजारियों को 8 हजार प्राप्त होते थे।

सत्येंद्र दास ने देखी बाबरी विध्वंस की घटना: 
1992 में जब बाबरी विध्वंस हुआ तब सत्येंद्र दास वहीं उपस्थित थे। उन्होंने एक बार बताया था कि, यह घटना प्रातः 11 बजे हुई थी। पुजारियों से कहा गया कि रामलला को भोग लगाकर पर्दा लगा दें। सत्येंद्र दास ने ऐसा ही किया। जैसे ही बाबरी विध्वंस हुआ हम रामलला को उठाकर वहां से चले गए, जिससे उन्हें कोई नुकसान न पहुंचे। सत्येंद्र दास को यह उम्मीद थी कि, एक दिन रामलला टेंट से निकलकर मंदिर में स्थापित होंगे तथा एक न एक दिन रामलला का भव्य मंदिर अवश्य बनेगा। अब जब अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर तैयार हो गया तो यह सत्येंद्र दास से सपने और उम्मीद के सच होने जैसा है।

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