आज जंतर-मंतर पर 'इजराइल' के खिलाफ मुस्लिम संगठनों का प्रदर्शन, हमास के 'आतंकी' कृत्यों की कोई निंदा नहीं !
आज जंतर-मंतर पर 'इजराइल' के खिलाफ मुस्लिम संगठनों का प्रदर्शन, हमास के 'आतंकी' कृत्यों की कोई निंदा नहीं !
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नई दिल्ली: आज सोमवार (16 अक्टूबर) को, मुस्लिम संगठन फिलिस्तीनी मुद्दे और हमास के प्रति एकजुटता दर्शाने के लिए इज़राइल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाले हैं। इस विरोध प्रदर्शन का ऐलान इज़रायल-हमास युद्ध के बीच हुआ है, जो फिलिस्तीनी आतंकवादी संगठन हमास द्वारा 7 अक्टूबर को इज़रायल पर आतंकी हमले के बाद शुरू हुआ था और महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सहित 1,300 से अधिक इज़रायली मारे गए थे।

आज सोमवार को दोपहर 2 बजे जंतर-मंतर पर 'सपोर्ट सिटीजन विजिल' बैनर के तहत विरोध प्रदर्शन होगा। दूसरी ओर, मुस्लिम संगठनों और मौलानाओं ने फिलिस्तीनी मुद्दे के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करने के लिए मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई है। रज़ा अकादमी और अमन कमेटी के सदस्य प्रेस कॉन्फ्रेंस का हिस्सा होंगे। बता दें कि, जब से इज़राइल ने गाजा से आतंकवादी संगठन को खत्म करने के उद्देश्य से हमास के खिलाफ युद्ध का ऐलान किया है, दुनिया भर में कई मुस्लिम संगठन और नेता फिलिस्तीनी मुद्दे के समर्थन में सामने आए हैं। 56 इस्लामी देशों के संगठन OIC ने भी महज 93 लाख यहूदी आबादी वाले इजराइल के खिलाफ एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है। उनमें से अधिकांश दावा कर रहे हैं कि हमास पर हमला गाजा में "निर्दोष नागरिकों" पर हमला है और इज़राइल पर युद्ध अपराधों का आरोप लगा रहे हैं। हालाँकि, ये 56 मुस्लिम देश, भारत में फिलिस्तीन को समर्थन देने वाले कांग्रेस और AIMIM कोई भी, आतंकी संगठन हमास से ये अपील नहीं कर रहे कि, वो बंधक बनाए गए इजराइली नागरिकों को रिहा कर दे, ऐसे में क्या एक देश अपने नागरिकों को ऐसे ही आतंकियों के चंगुल में छोड़ सकता है ? अपने लोगों को छुड़ाने के लिए इजराइल को आतंकियों के खिलाफ लड़ना ही पड़ेगा, अब उसे भले ही कुछ भी कहा जाए।

भारत में, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) पहले ही इजरायली नागरिकों पर क्रूर आतंकवादी हमले का परोक्ष समर्थन करते हुए फिलिस्तीनियों के प्रति अपनी एकजुटता व्यक्त कर चुका है। इसके अलावा, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने हाल ही में इजरायल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को शैतान कहा था। जमायत उलेमा-ए-हिंद ने भी गाजा में हमास पर हमले को लेकर इजराइल की आलोचना की है। लेकिन, कांग्रेस-AIMIM समेत इन मुस्लिम संगठनों में से एक ने भी इजराइल पर हुए आतंकी हमलों पर मौन साध रखा है, न 40 यहूदी बच्चों को काटकर, जिन्दा जलाकर मार डालने की निंदा की है, न ही महिलाओं को नग्न घूमाने को ही अमानवीय बताया है। इन सबके बावजूद ये सभी लोग केवल यही चाहते हैं कि, इजराइल हमला रोक दे, जबकि उसके लगभग 150 लोग अब भी आतंकी हमास के बंधक हैं। 

दारुल उलूम देवबंद के नेता और जमीयत उलमा-ए-हिंद प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने गाजा में हमास के ठिकानों पर इजरायल के जवाबी हमले के खिलाफ अपना विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि जमीयत फिलिस्तीन के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि, 'इज़राइल एक कब्ज़ा करने वाला राष्ट्र है, जिसने विश्व शक्तियों की मदद से फ़िलिस्तीनी भूमि पर कब्ज़ा कर लिया था। इज़राइल अब उन विश्व शक्तियों की मदद से फ़िलिस्तीनियों को धरती से मिटा देना चाहता है।' गौर करिए कि, आज से 2000 साल पहले ईसा मसीह बेथलेहम (यरूशलम) में जन्मे थे, यानी इस्लाम के दुनिया में आने से लगभग 700 साल पहले। ईसा मसीह खुद भी यहूदी ही थे, जो पुष्टि करता है कि, उस जमीन पर कई सदियों से यहूदी रहते आए थे, यहाँ तक कि यहूदियों का सबसे पवित्र मंदिर (Temple Mount) भी यरुशलम में ही है, जो लगभग 3000 साल पहले बनाया गया था। अब ये भी एक विवाद है कि, उस जमीन पर कब्जा किसने किया और कब्जाधारी कौन है ? 

 

जब विरोध प्रदर्शन के दौरान अमर जवान ज्योति में हुई थी तोड़फोड़:-

बता दें कि, 11 अगस्त 2012 को, रज़ा अकादमी ने असम और म्यांमार में मुसलमानों पर कथित अत्याचारों के विरोध में आज़ाद मैदान मैदान में एक मोर्चा निकाला था। हालाँकि, कुख्यात समूह द्वारा पुलिसकर्मियों पर हमला करने के बाद विरोध हिंसक हो गया। इसके चलते पुलिस फायरिंग हुई, जिसमें 2 लोगों की मौत हो गई और 63 लोग घायल हो गए। रज़ा अकादमी ने पहले मुंबई पुलिस को आश्वासन दिया था कि केवल 1,500 लोग ही विरोध प्रदर्शन में आएंगे। लेकिन, 15000 से अधिक की भीड़ आज़ाद मैदान में जुटी, जो बाद में बढ़कर 40000 हो गई। आज़ाद मैदान दंगों की सबसे चौंकाने वाली घटना मुस्लिम भीड़ द्वारा अमर जवान ज्योति स्मारक का अपमान करना था। बाद में यह बात सामने आई कि पुलिस ने दंगा करने वाले 35-40 मुस्लिम युवकों को गिरफ्तार करने के लिए ईद तक एक हफ्ते तक इंतजार किया था, ताकि आरोपी आराम से ईद मना लें। दंगों के चलते विभिन्न सार्वजनिक संपत्तियों को लगभग 2.72 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।

इजराइल-हमास युद्ध:-

बता दें कि, इस युद्ध की शुरुआत तब हुई, जब 7 अक्टूबर को, हमास के सैकड़ों आतंकवादियों ने विभिन्न माध्यमों से इज़राइल में घुसपैठ की, और कुछ ही मिनटों में आयरन डोम पर 5,000 से अधिक रॉकेटों से हमला कर दिया। उन्होंने यहूदी नागरिकों और ब्रिटेन-अमेरिका के लोगों को भी बंधक बना लिया और उन्हें गाजा ले गए। इज़रायली सेना द्वारा हमास पर जवाबी हमले में, इज़रायल-हमास युद्ध में कथित तौर पर 1,500 से अधिक लोग मारे गए हैं। हमास के हमले में इज़राइल में मरने वालों की संख्या अब 1,300 से अधिक हो गई है, जिसमें 3,300 से अधिक घायल हुए हैं, जिनमें मुख्य रूप से आम नागरिक शामिल हैं। इज़राइल ने गाजा में हमास के खिलाफ एक बड़ा हमला किया, बिजली और पानी की आपूर्ति को प्रतिबंधित कर दिया और क्षेत्र में आवश्यक वस्तुओं के प्रवेश को रोक दिया। अब तक 400,000 से अधिक गाजा निवासियों को निकाला जा चुका है। इस बीच भारत ने इजरायल से भारतीयों को निकालने के लिए ऑपरेशन अजय लॉन्च किया है। 

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