वो 5 मौके, जब भारत के मुश्किल वक्त में 'सच्चा दोस्त' बनकर मदद करने आया इजराइल !
वो 5 मौके, जब भारत के मुश्किल वक्त में 'सच्चा दोस्त' बनकर मदद करने आया इजराइल !
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नई दिल्ली: इस समय इजराइल और फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास के बीच जबरदस्त युद्ध चल रहा है। ये युद्ध तब शुरू हुआ, जब हमास के आतंकियों ने 7 अक्टूबर को इजराइल पर एकसाथ 5000 रॉकेट दागे और कई लोगों की हत्या कर दी। हमास के आतंकी इजराइल की सीमा में भी घुस आए और एक म्यूजिक फेस्टिवल में जश्न मना रहे 250 लोगों को गोलियों से भून डाला। यही नहीं, हमास ने 40 यहूदी बच्चों को भी काटकर, जिन्दा जलाकर बेरहमी से मार डाला, महिलाओं की नग्न परेड कराइ और कई लोगों को बंधक बना लिया, जिसमे इजराइल, UK और अमेरिका के भी नागरिक शामिल हैं। इसके बाद से इजराइल आगबबूला है और उसने हमास के आतंकियों को खत्म करने की कसम खाई है। भारत ने भी इजराइल पर हुए खतरनाक आतंकी हमले की निंदा की है और मृतकों के प्रति अपनी संवेदना की है। पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि, भारत इस दुःख की घड़ी में इजराइल के साथ खड़ा है। बता दें कि, भारत और इजराइल के बीच संबंधों की विशेषता अटूट सहयोग और पारस्परिक समर्थन है। इस स्थायी साझेदारी में कई महत्वपूर्ण क्षण आए हैं, जिन्होंने उनकी दोस्ती को मजबूत किया है। आज हम उन 5 अवसरों के बारे में जानने वाले हैं, जब इजराइल ने सच्ची दोस्ती का उदाहरण पेश करते हुए मुश्किल वक्त में हमारी मदद की है, कई बार तो इजराइल ने ऐसे समय में भी मदद की, जब दोनों देशों में आधिकारिक रूप से कोई राजनयिक संबंध भी नहीं थे।  

1971 का युद्ध:-

1971 के भारत-पाक युद्ध के बीच, उस समय दोनों देशों के बीच आधिकारिक राजनयिक संबंधों की अनुपस्थिति के बावजूद, इज़राइल ने भारत को महत्वपूर्ण सैन्य सहायता प्रदान करके महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। दरअसल, भारत के पहले प्रधान मंत्री, जवाहरलाल नेहरू शुरू में धर्म के आधार पर इजराइल के गठन का विरोध कर रहे थे, इसलिए दोनों देशों के बीच इंदिरा गांधी की हत्या तक कोई राजनयिक संबंध नहीं बन सके थे। हालाँकि, ये भी गौर करने वाली बात है कि, 1948 में इजराइल बना और इससे ठीक एक साल पहले भारत धर्म के आधार पर  ही बांटा जा चुका था, जो नेहरू और जिन्ना के दस्तखतों से मंजूर हुआ था। बहरहाल, 1971 युद्ध के दौरान इज़राइल ने भारत को आवश्यक हथियारों और गोला-बारूद की आपूर्ति की थी, साथ ही इजराइल ने अपनी इंटेलिजेंस से भी भारत की मदद की थी। जिसने भारत के सैन्य प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अंततः बांग्लादेश का निर्माण हुआ।

कारगिल युद्ध (1999):-
कारगिल युद्ध भारत के प्रति इजराइल के अटूट समर्थन का एक और प्रमाण है। उस युद्ध में भारतीय वायु सेना को सीमा पार बैठे दुश्मनों की सटीक जानकारी नहीं मिल पा रही थी। इससे युद्ध में मुश्किल हो रही थी, तब इजराइल ने भारत को IAF मिराज 2000H लड़ाकू विमानों के लिए लेजर-निर्देशित मिसाइलें दी थीं। इसके अलावा लाइटनिंग इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल टार्रेटिंग पॉड्स भी भारत को दिए थे। इन पॉड्स की विशेषता यह थी कि उसमें लेजर डेजिग्रेटर के अलावा हाई रिजॉल्यूशन कैमरे भी लगे थे, जो अधिक ऊंचाई पर भी दुश्मन के ठिकाने की तस्वीरें स्पष्ट दिखाता था। इज़राइल ने हवाई ड्रोन, गोला-बारूद और लेजर-निर्देशित मिसाइलों जैसे आवश्यक सैन्य उपकरण प्रदान किए, जिससे घुसपैठ करने वाली पाकिस्तानी सेना से क्षेत्र को पुनः प्राप्त करने के भारत के प्रयासों में महत्वपूर्ण सहायता मिली। 

26/11 मुंबई हमले (2008):-

मुंबई में 2008 के आतंकवादी हमलों के मद्देनजर, इज़राइल ने अपना समर्थन आगे बढ़ाया। इजरायली अधिकारियों ने दोनों देशों के बीच साझा गहरी दोस्ती को उजागर करते हुए महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों में घुसपैठ करने वाले पाकिस्तानी आतंकवादियों को मार गिराने में भारत की सहायता करने की पेशकश की थी। इज़राइल ने आतंकवादियों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिए अपनी खुफिया सहायता देने का ऑफर दिया था। गौरतलब है कि 2008 के मुंबई हमलों के दौरान यहूदियों के पूजा स्थल चबाड हाउस को भी निशाना बनाया गया था। यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि इस दौरान, हमलों को 'हिंदू आतंकवाद' के रूप में लेबल करने के कुछ प्रयास किए गए थे, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने '26/11 हमला- RSS की साजिश' नामक किताब लॉन्च कर दी थी, लेकिन आतंकवादी अजमल कसाब के पकड़े जाने और उसके कबूलनामे, जिसने खुलासा किया कि उसे पाकिस्तान द्वारा भारत में जिहाद छेड़ने के लिए भेजा गया था, ने ऐसी धारणाओं को दूर कर दिया।

कोविड-19 का मुकाबला (2020):-
वैश्विक कोविड-19 महामारी के दौरान, जब भारत ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा था, तब इज़राइल ने एक बार फिर सच्चे दोस्त का फर्ज निभाया और भारत के पक्ष में खड़ा हुआ। इजराइल ने ऑक्सीजन सांद्रक सहित महत्वपूर्ण चिकित्सा सहायता प्रदान की, जिसने भारत की भलाई के लिए इज़राइल की अटूट प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। इसके अलावा इजराइल ने भारत को जीवन रक्षक दवाओं की भी तेजी से आपूर्ति की, जिससे भारत में महामारी की स्थिति को नियंत्रित किया जा सका। 

पाकिस्तान का परमाणु बम परिक्षण:-

इस साझेदारी के एक कम-ज्ञात लेकिन महत्वपूर्ण अध्याय में, इज़राइल ने पाकिस्तान को परमाणु-सशस्त्र राज्य बनने से रोकने के लिए भारत से संपर्क किया था। एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 1987 में इज़राइल ने इस्लामाबाद के बाहर स्थित पाकिस्तान के परमाणु रिएक्टर, कहुटा पर संयुक्त रूप से हमला करने के प्रस्ताव के साथ भारत से संपर्क किया था। इज़राइल ने तर्क दिया कि परमाणु-सशस्त्र पाकिस्तान, भारत की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा पैदा करेगा। इज़राइल ने इस ऑपरेशन के लिए 'संयुक्त राज्य अमेरिका' से प्राप्त जासूसी दस्तावेज़ और उपग्रह तस्वीरें भी प्रदान कीं थी। अफसोस की बात है कि उस समय प्रधान मंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने इज़राइल के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था। आज भी पाकिस्तान उन परमाणु हथियारों का हवाला देकर भारत को धमकियाँ देते रहता है। 

यह ध्यान रखना जरूरी है कि इजराइल द्वारा भारत के साथ साझा की गई कुछ खुफिया जानकारी पाकिस्तान को लीक कर दी गई थी, जिससे उन्हें आसन्न खतरे के प्रति सचेत किया गया था। परिणामस्वरूप, पाकिस्तान ने परमाणु परीक्षण किए और परमाणु शस्त्रागार बनाए रखना जारी रखा, जिससे भारत की सुरक्षा के लिए एक सतत चुनौती पैदा हो गई।

भारत और इज़राइल के बीच स्थायी साझेदारी को अटूट समर्थन और सहयोग के कई उदाहरणों से चिह्नित किया गया है, जो अंतरराष्ट्रीय गठबंधनों की ताकत को प्रदर्शित करता है। युद्ध के समय उनके सहयोगात्मक प्रयासों से लेकर वैश्विक स्वास्थ्य और सुरक्षा को संबोधित करने वाली पहल तक, यह संबंध राजनीतिक सीमाओं से परे है। जबकि अतीत में कुछ अवसर चूक गए थे, ये प्रकरण दोनों देशों के बीच साझा मूल्यों और क्षेत्रीय स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता पर आधारित गहरे बंधन को दर्शाते हैं।

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