जब शराब की दुकानें खुल सकती हैं तो मंदिर क्यों नहीं ? केजरीवाल सरकार से प्रशासकों का सवाल
जब शराब की दुकानें खुल सकती हैं तो मंदिर क्यों नहीं ? केजरीवाल सरकार से प्रशासकों का सवाल
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नई दिल्ली: दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने कोरोना नियमों में छूट देते हुए बाजार, मॉल्स और रेस्टोरेंट्स को खोलने की इजाजत दे दी है। जिम, स्पा सेंटर से लेकर शराब की दुकानों तक को खोलने की मंजूरी मिल चुकी है। बाजारों में बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं और खरीदारी कर रहे हैं। किन्तु इसके बाद भी अभी तक मंदिरों में भक्तों के प्रवेश की इजाजत नहीं है। मंदिर प्रशासकों का सवाल है कि यदि पिज्जा हट, बाजार, मॉल्स, जिम और शराब की दुकानें तक खोली जा सकती हैं, तो सिर्फ मंदिरों पर ही क्यों पाबंदी लगाई गई है?

झंडेवालान देवी मंदिर के मुख्य प्रशासक नंदकुमार सेठी ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि एक सप्ताह पूर्व कई मंदिरों के प्रमुखों ने दिल्ली सरकार से आग्रह किया था कि मंदिरों को भी नियमों का पालन करते हुए खोलने की इजाजत दी जानी चाहिए। लेकिन सरकार ने उनके आग्रह पर कोई विचार नहीं किया है। इस बीच मंदिरों के सामने उनका संचालन करना भी भारी पड़ रहा है क्योंकि मंदिर बीते डेढ़ वर्ष से लगातार बंद ही चल रहे हैं।

अकेले झंडेवालान मंदिर का हर महीने का संचालन खर्च तक़रीबन पांच लाख रुपये आता है। मंदिर में 100 से अधिक कर्मचारी हैं जो साफ-सफाई, सुरक्षा, लिपिकीय और अन्य कार्यों में लगे हैं। मंदिर की एक गौशाला है जिसमें तक़रीबन 300 गायों की देखरेख की जा रही है। इसके साथ ही मंदिर संस्थान कई सामाजिक कल्याण केंद्र, जैसे गरीब महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई सिखाना इत्यादि चलाता है। मंदिर संचालन के साथ ही इसके बिजली-पानी के बिल समेत कई खर्च होते हैं। किन्तु लगातार मंदिर के बंद रहने से उसके सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है।

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