सदियों की साध श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ को लेकर पूरी होने को है. संसद ने भी श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ के गठन को लेकर अपनी रजामंदी जाहिर कर दी है.उम्मीद बढ़ी है कि तंबू से निकलकर रामलला अब जल्द ही भव्य मंदिर में विराजेंगे.नौ नवंबर, 2019 को रामलला के हक में आए सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले से भव्य मंदिर के निर्माण की संभावना प्रशस्त हो गई थी.रामजन्मभूमि मुक्ति की चिर प्रतीक्षा और भव्य मंदिर निर्माण के प्रति उत्साह को देखते हुए माना जा रहा था कि केंद्र की मोदी सरकार शीघ्र ही ट्रस्ट गठन के साथ मंदिर का निर्माण शुरू कराएगी. हालांकि सरकार को ट्रस्ट गठित करने में 88 दिन लग गए. ऐसे में बुधवार को श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र गठन की घोषणा नए सिरे से उत्साह की सबब बनी.
राम मंदिर निर्माण को लेकर जारी लंबा सघर्ष
492 वर्ष से हो रहा संघर्ष
21 मार्च 1528 को बाबर के आदेश पर शिया सेनापति मीर बाकी ने रामजन्मभूमि पर बने मंदिर को तोड़ कर बनाई थी मस्जिद
76 लड़ाइयां लड़ी गईं, सैकड़ों रामभक्तों ने किया बलिदान
15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ, इसके बाद से रामजन्मभूमि की मुक्ति के लिए संघर्ष चला.
1984 में विहिप ने रामजन्मभूमि की मुक्ति को जनांदोलन की शक्ल दी.
25 मार्च से दो अप्रैल के बीच शिलान्यास संभावित.
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि घोषित श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र सक्रिय हो, उससे पूर्व इस ट्रस्ट को औपचारिक-अधिकृत स्वरूप देना होगा. चूंकि मंदिर निर्माण में शासकीय धन का उपयोग नहीं होना है, ऐसे में ट्रस्ट मंदिर का निर्माण जन सहयोग से कराएगा. इसके लिए ट्रस्ट का बैंक अकाउंट खोला जाएगा और इसी अकाउंट में मंदिर निर्माण के लिए चंदा एकत्र किया जाएगा. समझा जाता है कि यह प्रक्रिया पूर्ण होने में कुछ दिन लग जाएंगे और मंदिर का शिलान्यास 25 मार्च से शुरू हो रहे चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से लेकर दो अप्रैल को राम जन्मोत्सव के बीच संभव हो सकता है.
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