दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली हार की वजह से प्रदेश भाजपा में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. आम आदमी की बंपर जीत के बाद भाजपा में फेरबदल की सुगबुगाहट भी तेज हो गई है.अब सबकी नजर दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी की कुर्सी पर है. पिछले वर्ष अगस्त में सदस्यता अभियान संपन्न हो गया था. दिल्ली में 17 लाख नए सदस्य बनाए गए हैं और दस लाख पुराने सदस्य हैं. सदस्यता अभियान समाप्त होने के बाद विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर संगठनात्मक चुनाव स्थगित कर दिया गया था. अब संगठनात्मक ढांचे में बदलाव की प्रक्रिया भी शुरू होने की उम्मीद है.
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इस मामले को लेकर भाजपा नेताओं का कहना है कि तय नियम के अनुसार बूथ समितियां गठित होने के बाद मंडल अध्यक्षों और जिला अध्यक्षों का चुनाव होता है. उसके बाद प्रदेश अध्यक्ष चुना जाता है. संगठनात्मक चुनाव में काफी विलंब हो चुका है इसलिए संभव है कि सबसे पहले प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कोई फैसला हो और उसके बाद जिला व मंडल अध्यक्षों के नाम घोषित किए जाएं.
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भाजपा के इस महत्वपूर्ण पद पर प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी का कार्यकाल पूरा हो चुका है और विधानसभा चुनाव में पार्टी को हार मिली है. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि उनकी जगह किसी और को यह जिम्मेदारी दी जाए. नगर निगमों के चुनाव व लोकसभा में पार्टी उनके नेतृत्व में जीत हासिल की थी. ऐसे में संभव है कि दिल्ली में पूर्वाचल के लोगों को ध्यान में रखकर इनका कार्यकाल फिर से बढ़ा दिया जाए. इनके साथ ही सांसद प्रवेश वर्मा, पूर्व सांसद व राष्ट्रीय मंत्री महेश गिरी, मिजोरम के प्रभारी व पूर्व प्रदेश संगठन महामंत्री पवन शर्मा के नाम की भी चर्चा है.
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