कभी सोनिया गांधी को कहा था विदेशी, अब कांग्रेस की तारीफें कर रहे शरद पवार ! जानिए क्यों ?
कभी सोनिया गांधी को कहा था विदेशी, अब कांग्रेस की तारीफें कर रहे शरद पवार ! जानिए क्यों ?
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मुंबई: 23 वर्ष पूर्व कांग्रेस छोड़कर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का गठन करने वाले शरद पवार पहली बार बुधवार (28 दिसंबर) को पुणे में कांग्रेस दफ्तर पहुंचे थे। पवार कांग्रेस के स्थापना दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए यहां पार्टी दफ्तर पहुंचे थे। पवार ने यहां भाजपा का नाम लिए बगैर कहा कि कुछ लोग कांग्रेस मुक्त भारत की मांग कर रहे हैं, मगर देश को 'कांग्रेस मुक्त' नहीं बनाया जा सकता, क्योंकि इसके योगदान और विचारधारा को अनदेखा नहीं किया जा सकता, यह संभव नहीं है।

पवार ने कहा कि, 'कांग्रेस की विचारधारा और योगदान को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। नीतियों को लेकर मतभेद होंगे, मगर हम कांग्रेस पार्टी के साथ आगे बढ़ेंगे। पवार ने पुणे जिले के एक युवा कांग्रेस कार्यकर्ता के और पर अपने सियासी जीवन के प्रारंभिक दिनों को याद किया, जब वे 1958 में पहली दफा कांग्रेस भवन गए थे। बता दें कि, शरद पवार ने दो बार कांग्रेस का साथ छोड़ा, मगर बाद में उसी पार्टी का समर्थन किया या लौट आए। पहली बार 1978 में जनता पार्टी के साथ मिलकर पवार महाराष्ट्र के सीएम बने और 1986 में फिर कांग्रेस में लौट गए। इसके बाद दूसरी बार शरद पवार 1999 में सोनिया गांधी को पीएम बनाए जाने का पुरजोर विरोध कर कांग्रेस से अलग हुए, लेकिन उसके बाद भी शरद पवार से कांग्रेस का मोह नहीं छूटा और 15 वर्षों तक महाराष्ट्र में कांग्रेस-राकांपा ने सरकार चलाई। दरअसल, 1999 में पवार ने सोनिया गाँधी को विदेशी बताते हुए उनके प्रधानमंत्री बनने का विरोध किया था। 

लेकिन, अब सियासी बहाव को देखते हुए शरद पवार पुनः कांग्रेस की तरफ जाते नज़र आ रहे हैं। पुणे में उन्होंने कहा कि, 'भारत को आजादी मिलने के बाद से पुणे में कांग्रेस भवन पार्टी का केंद्र था। महाराष्ट्र का प्रशासन इसी इमारत से कार्य करता था। यहां से कांग्रेस नेताओं ने (तत्कालीन पीएम) जवाहरलाल नेहरू को इंदिरा गांधी के जरिए मनाया और और संयुक्त महाराष्ट्र (राजधानी मुंबई के साथ महाराष्ट्र) को बनाया गया था। उन्होंने कहा कि देश के मौजूदा शासक अपनी शक्ति का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं और विपक्ष को एकता के साथ उनका मुकाबला करना होगा। हालाँकि, पवार के बयानों से स्पष्ट है कि, भले ही शरद पवार के सोनिया गांधी से मतभेद रहे हों, उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी हो, लेकिन भाजपा को टक्कर देने के लिए पवार सबकुछ भूलकर कांग्रेस के साथ जाने को तैयार हैं। 

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