सरकार पर भड़कें टीवी स्टार्स, कहा- 'पेड़ मत काटो...'
सरकार पर भड़कें टीवी स्टार्स, कहा- 'पेड़ मत काटो...'
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आप सभी जानते ही हैं कि मुंबई में इन दिनों फिल्मसिटी के पास बसी आरे कालोनी में पेड़ों के काटने के फैसले के खिलाफ आम जनता से लेकर फिल्मी जगत के लोग गुस्से में हैं और सभी एक के बाद एक उसे रोकने के लिए बातें कर रहे हैं. जी दरअसल मेट्रो शेड के लिए आरे कालोनी के 2702 पेड़ों के काटे जाने या ट्रांसप्लांट किए जाने वाले प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद से ही इसके खिलाफ कई जानी मानी हस्तियां अपनी बातें रख चुकी हैं और अब टीवी इंडस्ट्री के कलाकारों ने इसके प्रति रोष व्यक्त किया है. जी हाँ, हाल ही में टीवी जगत के कई जाने माने चेहरों ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं.

मृणाल देशराज - यह पूरा मुद्दा बेहद ही दिल दहला देने वाला है. आज हम कई पर्यावरणीय मुद्दों के किनारे पर खड़े हैं. हमने अपने लगभग सभी प्राकृतिक संसाधनों का पूर्ण रूप से उपयोग कर चुके हैं. वहां जो 3000 पेड़ काटे जाने हैं, उन्हें बचाने के लिए हमें एक साथ आना चाहिए . हमें अमेज़न में लगी आग से सीखना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए की पर्यावरण की सुरक्षा और पुनरजीवन आज का अहम मुद्दा हो, साथ ही साथ आने वाली पीढ़ी को भी इसका महत्व बताना बेहद जरूरी है.

शशांक व्यास - मैं पेड़ काटने के समर्थन में नहीं हूं. हम सभी पेड़ों के महत्व को जानते हैं, फिर भी हम प्रकृति के खिलाफ जा रहे हैं. इससे बारिश में देरी होगी, भारी गर्मी होगी, ग्लोबल वार्मिंग होगी ... अगर इमारतें बन गईं तो वन्यजीव कहां जाएंगे ? अगर पेड़ नहीं हैं और पानी नहीं है, तो सभी को पानी कहाँ से मिलेगा ? मुंबई में पहले से ही पर्याप्त विकास है, आइए अब इन संसाधनों को संरक्षित करें.

शरद मल्होत्रा - मैं आरे कालोनी के पेड़ों के काटे जाने के सख्त खिलाफ हूं. मेरे लिए इस कॉन्क्रीट के जंगल जिसे हम मुंबई शहर कहते हैं, उसके बीचो बीचे ऐसी हरियाली होना किसी स्वर्ग से कम नहीं है. हमें इस स्वर्ग को स्वस्थ रखने के साथ साथ इसका बचाव भी करना है. हमारे स्वास्थ से लेकर हमारे इंद्रियों के लिए यह हरियाली बेहद जरूरी है. हमारी सरकार और निर्धारित किए गए अधिकारियों को इन 2702 पेड़ों के काटे जाने के खिलाफ सख्त कदम लेने चाहिए हैं.

अतुल वर्मा - मुझे नहीं लगता कि कोई चाहेगा कि पेड़ काटे जाएं. दुर्भाग्य से, मुंबई में बड़े शेड बनाने के लिए ज्यादा जगह नहीं बची है और हमारे शहर को मेट्रो की जरूरत है. मुझे यकीन है कि अधिकारियों ने इस तरह का बड़ा फैसला लेने से पहले इस मुद्दे का गहराई से विश्लेषण किया होगा. इस स्थिति में सरकार के खिलाफ होने के बजाय, हमें सरकार के साथ रहना चाहिए और इस मुद्दे का समाधान खोजना चाहिए.

इरा सोन - मुझे लगता है की बिल्डिंग्स बनाने के खातिर, हमें पेड़ों को नहीं काटना चाहिए क्योंकि हम वैसे भी प्रदूषण का सामना कर रहे हैं और वायु गुणवत्ता बड़े पैमाने पर गिर रही है, जो एक वैश्विक मुद्दा है. पेड़ों के कटने से ऑक्सीजन का स्तर नीचे जा सकता है, मुझे लगता है कि इस मुद्दे के समाधान की योजना बनाने में कोई और स्मार्ट तरीका भी हो सकता है. मेरे द्वारा शूट किया गया हर शो फिल्म सिटी में रहा है, यह मेरे लिए एक दूसरे घर जैसा है और मैं उस जगह को संरक्षित करना चाहता हूं. मुझे उम्मीद है कि इसके बारे में कुछ किया जा सकता है.

अंकित बाथला - मैंने सीरियल थपकी प्यार की और हमारी सास लीला की शटिंग यहीं फिल्म सिटी में की है, और मुझे यह फिल्म सिटी बहुत पसंद है. जैसे हम इसके दरवाजों से अंदर प्रवेश करते हैं, वह अनुभव अनोखा होता है. यह जगह बेहद ही शात और सुंदर है. मैंने हमेशा एक चीते की कहानी सुनी है, जो एक बार किसी फिल्म के सेट पर घुस गया था. यह उन जानवरों की गलती नहीं है, बल्कि हम ही उनकी जगह में घुसते जा रहे हैं और वहां अपने लिए बिल्डिंग्स बनाते जा रहे हैं. पेड़ों को काटना एक अच्छा विचार नहीं होगा क्योंकि यह इको-सिस्टम को परेशान करेगा और इससे प्रदूषण के मुद्दे भी बढ़ेंगे. मैं और जया भट्टाचार्य कई रैलियों में गए हैं, वहां जाकर हमने एक याचिका पर हस्ताक्षर भी किए लेकिन कुछ नहीं हुआ. पर मुझे पूरी आशा है कि कुछ न कुछ काम जरूर होगा और ये पेड़ नहीं कटेंगे.

रेहान रॉय - मैं बीएमसी द्वारा लिए गए फैसले का कड़ा विरोध करता हूं. अब तो हमें पेड़ों के महत्व का एहसास हो जाना चाहिए. जहाँ पूरी दुनिया पर्यावरण के मुद्दों पर बात कर रही है और वनीकरण की दिशा में काम कर रही है, हम इतने पेड़ कैसे काट सकते हैं ?? मुंबई एक अत्याधिक जनसंख्या वाला शहर है, यह सभी जानते हैं. हम सभी प्रदूषण के स्तर और बढ़ती गर्मी का एहसास कर सकते हैं. हमें वास्तव में मुंबई में अधिक पेड़ों की आवश्यकता है. इस स्थिति में, पेड़ों की इतनी बड़ी संख्या में कटौती करना पूरी तरह से मूर्खता है. इसके खिलाफ एक याचिका भी दायर की गई थी. इस याचिका पर 3 लाख से अधिक लोगों ने साइन किया, लेकिन किसी ने इसकी परवाह नहीं की.


आरिफ ज़कारिया - मैं हर तरह से और हर रूप से प्रो-डेवलपमेंट हूं. हमें तटीय सड़कें, सुपरहाइवेज, बुलेट ट्रेनों और कई पुलों की जरूरत है. विकास एक बलिदान लागत के साथ आता है. उखाड़े गए प्रत्येक पेड़ को दूसरी जगह लगाया जाना चाहिए.

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