झारखंड में 37.3% तो छत्तीसगढ़ में 30.2% वैक्सीन बर्बाद, कमी पर सवाल तो 'प्रबंधन' पर क्यों नहीं ?
झारखंड में 37.3% तो छत्तीसगढ़ में 30.2% वैक्सीन बर्बाद, कमी पर सवाल तो 'प्रबंधन' पर क्यों नहीं ?
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नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से राज्यों को टीकों की बर्बादी 1 फीसद से कम रखने की सलाह दिए जाने के बावजूद, झारखंड जैसे राज्यों में वैक्सीन की 37.3 फीसदी की बर्बादी हुई है। छत्तीसगढ़ 30.2% से अधिक टीके की बर्बादी दर्ज करने वाला दूसरा प्रदेश है। वहीं, तमिलनाडु में वैक्सीन की बर्बादी 15.5 फीसदी, जम्मू-कश्मीर में 10.8 फीसदी और मध्य प्रदेश में 10.7 फीसदी वैक्सीन की बर्बादी हुई है।  बता दें कि टीकों की कमी को लेकर लगातार सवाल उठाने वाली कांग्रेस, छत्तीसगढ़ में सत्ता में है, तो वहीं झारखंड की सत्ता में सहयोगी है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दो सप्ताह पहले हरियाणा कोविशील्ड की 6 फीसद बर्बादी और कोवैक्सिन की 10 फीसद डोज बर्बाद करने को लेकर फेहरिस्त में सबसे ऊपर था। हालाँकि, हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव अरोड़ा ने कहा कि राज्य में यह घट कर क्रमश: 3.1% और 2.4% हो गया है। सभी टीकाकरण कार्यक्रमों में वैक्सीन की बर्बादी अपरिहार्य है। हालाँकि, बर्बादी को कम करने की कोशिश की जानी चाहिए। परिवहन, भंडारण और यहाँ तक कि टीकाकरण केंद्रों पर भी टीके की बर्बादी हो सकती है।

कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति 10 डोज वाली मल्टी डोज शीशियों में की जाती है। संभावना है कि प्रबंधन के दौरान कुछ बोतलें टूट सकती हैं। इसके साथ ही, अगर 10 डोज का पैक खोला जाता है और सभी खुराक का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, तो शेष बेकार हो जाता है। यह वैक्सीन की बर्बादी में सबसे बड़ा योगदान करने वाले कारकों में से एक रहा है।

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