सांसद हनुमान बेनीवाल पर हमले का केस प्रदेश गवर्नमेंट के लिए गले की हड्डी बनता जा रहा है. राज्य सरकार अब इस केस में विधिक सलाह ले रही है. इसके लिये गृह महकमें ने सलाह देने के लिए AAG को खत लिखा है. बेनीवाल पर हमले मामले की लोकसभा की विशेषाधिकार हनन समिति में सुनवाई चल रही है. मुख्य सचिव और डीजीपी को इस केस में विशेषाधिकार हनन समिति को जवाब पेश करना है. बीती सुनवाई में समिति ने मुख्य सचिव को सात दिन में फैसला से अवगत कराने के आदेश दिए थे.
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सांसद बेनीवाल पर हमला 12-13 नवम्बर 2019 की रात्रि बाड़मेर में हुआ था. वहां सांसद हनुमान बेनीवाल के काफिले पर पथराव किया गया था. इस केस में पुलिस ने बायतु थाने में केस दर्ज कर लिया था. किन्तु 14 नवंबर को सांसद बेनीवाल ने इस मामले में पुलिस को ई-मेल किया था. इस पर पुलिस ने नया केस दर्ज नहीं कर उसे पूर्व की एफआईआर में ही सम्मिलित कर लिया. इस पर सांसद बेनीवाल ने इसकी शिकायत लोकसभा की विशेषाधिकार हनन समिति को की. समिति ने सांसद की शिकायत पर संज्ञान लिया था.
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इस केस में डीजीपी भूपेंद्र सिंह यादव की तरफ से गठित चार सदस्यीय कमेटी ने एफआईआर और ई-मेल में उल्लेखित वारदात को एक मानते हुए दूसरी प्राथमिकी दर्ज नहीं करने की सलाह दी है. इसके बाद डीजी क्राइम एमएल लाठर ने एसीएस गृह से मामले में महाधिवक्ता (AG) या अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) से राय लेने की सलाह दी है.हमले मामले में मुख्य सचिव और डीजीपी गत 11 अगस्त को विशेषाधिकार हनन समिति के सामने पेश हुए थे. इसके बाद समिति ने इस केस में लॉ और सुप्रीम कोर्ट के कुछ निर्णय का संदर्भ देते हुए राय दी. फिर समिति ने ई-मेल पर दूसरी एफआईआर दर्ज करने के बारे में विधिक सलाह लेने की भी राय दी थी. समिति ने मुख्य सचिव को इस केस में एक सप्ताह में निर्णय लेने के आदेश दे रखे हैं.
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