'आदि महोत्सव' का शुभारम्भ, पीएम मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा को दी श्रद्धांजलि, पढ़ें संबोधन की मुख्य बातें
'आदि महोत्सव' का शुभारम्भ, पीएम मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा को दी श्रद्धांजलि, पढ़ें संबोधन की मुख्य बातें
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नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी ने आज गुरुवार (16 फ़रवरी) को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के मेजर ध्यान चंद राष्ट्रीय स्टेडियम में 'आदि महोत्सव' का उद्घाटन कर दिया है। इस अवसर पर जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा भी मौजूद रहे। पीएम मोदी ने यहां स्वतंत्रता सेनानी और भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजालि अर्पित की। जनजातीय समुदायों की तरफ से उपजाए जाने वाले श्री अन्न, इस कार्यक्रम का केंद्र बिंदु रहेंगे।

पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि, 'यह अनंत विविधताएं हमें एक भारत - श्रेष्ठ भारत के सूत्र में पिरोती हैं। आप सभी को 'आदि महोत्सव' की हार्दिक शुभकामनाएं। ऐसा लग रहा है कि जैसे भारत की अनेकता और भव्यता आज एक साथ खड़ी हो गई हैं। यह भारत के उस अनंत आकाश की तरह है जिसमें उसकी विविधताएं इंद्रधनुष की तरह उभर कर सामने आ जाती हैं।' पीएम मोदी ने आगे कहा कि, 'यह महोत्सव विकास और विरासत के विचार को और अधिक जीवंत बना रहा है।  जो पहले खुद को दूर-सुदूर समझता था अब सरकार उसके द्वार जा रही है, उसको मुख्यधारा में ला रही है। आदिवासी समाज का हित मेरे लिए व्यक्तिगत रिश्तों और भावनाओं का विषय है।'

पीएम मोदी ने कहा कि, 'आपके बीच आकर मुझमें अपनों से जुड़ने का भाव आता है। मैंने देश के कोने कोने में आदिवासी समाज और परिवार के साथ अनेक सप्ताह बिताए हैं। मैंने आपकी परंपराओं को करीब से देखा भी है, उनसे सीखा भी है और उनको जिया भी है। आदिवासियों की जीवनशैली ने मुझे देश की विरासत और परंपराओं के बारे में बहुत कुछ सिखाया है।' पीएम मोदी ने कहा कि, 'आज वैश्विक मंचों से भारत आदिवासी परंपरा को अपनी विरासत और गौरव के रूप में प्रस्तुत करता है। आज भारत विश्व को बताता है कि अगर आपको जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसी चुनौतियों का समाधान चाहिए तो हमारे आदिवासियों की जीवन परंपरा देख लीजिए. आपको रास्ता मिल जाएगा।' 

उन्होंने कहा कि, 'हम कैसे प्रकृति से संसाधन लेकर भी उसका संरक्षण कर सकते हैं इसकी प्रेरणा हमें हमारे आदिवासी समाज से मिलती है। 
भारत के जनजातीय समाज द्वारा बनाए जाने वाले उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है और ये विदेशों में निर्यात किए जा रहे हैं। 80 लाख से ज्यादा सेल्फ हेल्फ ग्रुप आज अलग-अलग राज्यों में काम कर रहे हैं जिसमें सवा करोड़ से ज्यादा सदस्य हमारे जनजातीय भाई-बहन हैं और इनमें भी बड़ी संख्या हमारी माताओं-बहनों की है।' पीएम मोदी ने कहा कि, 'ट्राइबल प्रोडक्ट्स ज्यादा से ज्यादा बाजार तक आयें, इनकी पहचान बढ़े, इनकी डिमांड बढ़े, सरकार इस दिशा में भी लगातार काम कर रही है। देश के अलग-अलग राज्यों में तीन हजार से अधिक 'वन धन विकास केंद्र' स्थापित किए गए हैं। आज करीब 90 लघु वन उत्पादों पर सरकार MSP दे रही है।'

उन्होंने कहा कि, आज सरकार का जोर जनजातीय आर्ट्स को प्रमोट करने, जनजातीय युवाओं के स्किल को बढ़ाने पर भी है। देश में नए जनजातीय शोध संस्थान खोले जा रहे हैं। इन प्रयासों से जनजातीय युवाओं के लिए उनके अपने ही क्षेत्र में नए अवसर बन रहे हैं। आदिवासी बच्चे देश के किसी भी कोने में हों, उनकी शिक्षा और उनका भविष्य मेरी प्राथमिकता है। 2004 से 2014 के बीच केवल 90 'एकलव्य स्कूल' खुले थे जबकि 2014 से 2022 तक हमने 500 से ज्यादा 'एकलव्य स्कूल' स्वीकृत किए हैं। इनमें से 400 से ज्यादा स्कूलों में पढ़ाई शुरू भी हो चुकी है और एक लाख से ज्यादा जनजातीय छात्र इन स्कूलों में पढ़ाई भी करने लगे हैं।

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