भारत की कई कंपनियों को सपोर्ट कर रहा चाइना, रिपोर्ट में हुआ चौकाने वाला खुलासा
भारत की कई कंपनियों को सपोर्ट कर रहा चाइना, रिपोर्ट में हुआ चौकाने वाला खुलासा
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चीन पर किसी भी प्रकार का व्यापारिक प्रतिबंध लगाने से पहले कई बिंदुओं पर ध्यान देना आवश्यक है.  प्रौद्योगिकी क्षेत्र में, देश की 30 में से 18 यूनिकॉर्न कंपनियां चीन द्वारा वित्त पोषित हैं. अनुमान है कि चीनी तकनीकी निवेशकों ने भारतीय स्टार्टअप्स में करीब 4 अरब डॉलर का निवेश किया है. ऑटो सेक्टर में चीन की उपस्थिति अभी तक ठीक नहीं थी. हालांकि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के संभावित बदलाव ने उन्हेंं भारत में अपनी इलेक्ट्रिक बसों को आगे बढ़ाने का मौका दे दिया है. चीन पर भारत की व्यापार निर्भरता बेहद विशाल है.

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इस परिस्थिति में विडंबना यह है कि चीन के विनिर्माण क्षेत्र को भारत कच्चा माल या सामग्री का निर्यात करता है, जबकि उच्च मूल्य की तैयार सामग्री का अधिक आयात करता है. चीन को किसी भी भावना में बहकर बाहर कर देना समझदारी भरा कदम नहीं होगा. वर्तमान में पूरा विश्व जब स्वास्थ्य संकट से जूझ रहा है, व्यापार और र्आिथक चर्चा फिलहाल पीछे चली गई है. इन परिस्थितियों में भारत जैसी उभरती हुई अर्थव्यवस्था के लिए चीन को बदलने के बारे में सोचना मुश्किल होगा. चीन ने उत्पादकता और रोजगार में वृद्धि के माध्मय से वैश्विक बाजार में अपना वर्चस्व बनाया है.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि वर्तमान स्वास्थ्य संकट ने भारत की आम जनता की क्रय शक्ति को घटा दिया है, क्योंकि उनके पास अपेक्षाकृत उच्च कीमतों के साथ अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पादों को वहन करने के लिए हाथ में कम पैसा है. भारतीय कंपनियां चीन के सस्ते उत्पादों के विकल्प के लिए तैयार नहीं हैं. वे कब तक गुणवत्ता के आवश्यक स्तर को प्राप्त करेंगी, इसकी महामारी के बीच गणना करना मुश्किल है. चीन सर्मिथत छोटे और नए स्टार्टअप्स और एमएसएमई फंड की कमी से जूझ रहे हैं. महामारी के दौरान वैकल्पिक फंड जुटाने या महामारी के बाद की मंदी की स्थिति उनके लिए बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाएगी. वही, यह न केवल उनकी वृद्धि बल्कि उनकी निरंतरता पर भी गंभीर सवाल उठा सकता है. चीन को भारत से व्यापार बंद करने में कोई दिलचस्पी नहीं है, क्योंकि यह उसके अधिशेष को बुरी तरह से प्रभावित करेगा. इसके विपरीत, भारत के पास आज भी चीन को हटाने के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा और वैकल्पिक निवेश की संभावनाएं नहीं हैं. स्वास्थ्य और सुरक्षा जैसे दो संकटों ने वैकल्पिक मूल्य श्रृंखला और चीन पर निर्भरता खत्म करने की आवश्यकता को जन्म दिया है.

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