इस गीत की रचना कर 'बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय' ने क्रान्तिकारियों में जला दी थी देशभक्ति की लौ
इस गीत की रचना कर 'बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय' ने क्रान्तिकारियों में जला दी थी देशभक्ति की लौ
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आज यानी 8 अप्रैल को बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय की पुण्यतिथि है. उन्होने अपने जीवन काल में कुल 15 उपन्यास लिखे. इनमें से आनंदमठ, दुर्गेश नंदिनी, कपालकुंडला, मृणालिनी, चंद्रशेखर, देवी चौधरानी, राजसिंह आज भी बेहद लोकप्रिय हैं. 'देवी चौधरानी' उपन्यास में बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय भारतीय स्त्रियों की दुर्दशा को जीवंत रूप दिया है. वही,बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रची गई भारत के राष्ट्रीय गीत 'वन्दे मातरम्' उनकी ही रचना है. जो भारतीय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के काल में क्रान्तिकारियों में देशभक्ति की लौ जगाने का काम किया था.

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अगर बात करें ​शुरूआती जीवन की तो बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय का जन्‍म 26 जून 1838 को बंगाल के उत्‍तरी चौबीस परगना के कंथलपाड़ा में एक परंपरागत और समृद्ध बंगाली परिवार में हुआ था. इन्होंने अपनी पढ़ाई और शिक्षा कोलकाता के हुगली कॉलेज और प्रेसीडेंसी कॉलेज से की थी. 

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि एक महान राष्ट्र भक्त ने रूप में ख्याती पाने वाले बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने 8 अप्रैल, 1894 को निधन हो गया था. लेकिन वह आज भी वंदेमातरम बन कर लोगों के दिल में है. आज भी उनकी रचनाओं से लोगों में देशभक्ति की भावना आती है. 

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