नए कानूनों के नाम हिंदी में क्यों ? तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने फिर उठाया 'भाषावाद' का मुद्दा, केंद्र पर लगाए गंभीर आरोप
नए कानूनों के नाम हिंदी में क्यों ? तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने फिर उठाया 'भाषावाद' का मुद्दा, केंद्र पर लगाए गंभीर आरोप
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चेन्नई: DMK पार्टी के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार और भाजपा पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के बीच एक नया विवाद छिड़ गया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने केंद्र सरकार के तीन नए विधेयकों की आलोचना की, जो मौजूदा आपराधिक कानूनों को बदलने के लिए लाए गए हैं। उन्होंने दावा किया कि हिंदी में नामित ये विधेयक हिंदी भाषा को थोपने और तमिल पहचान को कमजोर करने का एक प्रयास हैं। 

वहीं, केंद्रीय शिक्षा मंत्री, धर्मेंद्र प्रधान ने ट्वीट करते हुए सीएम स्टालिन को जवाब दिया और कहा कि यह आलोचना राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित है और लोकतंत्र को नुकसान पहुंचा सकती है। उन्होंने बताया कि जो लोग तमिल गौरव के लिए बोलते हैं, वे तमिल संस्कृति के प्रतीक एक कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए, जो एक विरोधाभास का संकेत देता है। बता दें कि, स्टालिन ने भाजपा सरकार पर इन नए कानूनों के माध्यम से तमिल पहचान को हिंदी के साथ बदलने का प्रयास करने का आरोप लगाया था। उन्होंने इस कार्रवाई को "भाषाई साम्राज्यवाद" और भारत की एकता के लिए ख़तरा बताया था। उन्होंने यहां तक ऐलान कर दिया कि बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी को अब तमिल का जिक्र नहीं करना चाहिए ।  उन्होंने इस कथित खतरे के खिलाफ रैली करने के लिए एक हैशटैग #StopHindiImposition शुरू किया।

स्टालिन ने कहा कि उनकी द्रमुक पार्टी इन कानूनों का विरोध करेगी यदि इन्हें पेश किया गया। उन्होंने ऐसी स्थितियों के खिलाफ तमिलनाडु के प्रतिरोध के इतिहास का हवाला दिया और कहा कि वे इस "हिंदी उपनिवेशवाद" के खिलाफ दृढ़ता से खड़े रहेंगे। DMK के एक सांसद पी. विल्सन ने नए कानूनों के हिंदी नामों पर आश्चर्य व्यक्त किया और व्यंग्यात्मक रूप से कहा कि दक्षिण भारतीय वकीलों को उनके उच्चारण में कठिनाई हो सकती है। एक वकील और कांग्रेस प्रवक्ता संकजेट येनागी ने बताया कि स्टालिन की चिंताएं दक्षिण भारतीयों पर हिंदी थोपने के भाजपा के पिछले प्रयासों से उत्पन्न हो सकती हैं।

बता दें कि, लोकसभा में पेश किए गए नए बिल भारतीय दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदलने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। नए कानूनों का लक्ष्य आतंकवाद, महिलाओं के खिलाफ अपराध, चुनाव संबंधी भ्रष्टाचार और राज्य के खिलाफ कार्रवाई जैसे मुद्दों को संबोधित करना है। संक्षेप में, नए कानूनों को लेकर तमिलनाडु सरकार और केंद्र सरकार के बीच असहमति है, विवाद के केंद्र में हिंदी थोपने और सांस्कृतिक पहचान का आरोप है।

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