द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल बनने पर क्यों खौल उठा ममता का खून, गहरी है वजह
द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल बनने पर क्यों खौल उठा ममता का खून, गहरी है वजह
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एक तरफ जहां द केरल स्टोरी का विवाद हर दिन बढ़ता ही जा रहा है इसी बीच अब एक और मूवी विवादों में घिरती हुई दिखाई देई है. ‘द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल’ का ट्रेलर निरंतर चर्चा का विषय बने हुए है. इस ट्रेलर को लेकर लोगों में आक्रोश का माहौल बन गया है. आलम ये है कि मूवी के डायरेक्टर को पश्चिम बंगाल पुलिस ने नोटिस भी जारी कर दिया है. डायरेक्टर पर आरोप है कि वह अपनी मूवी के माध्यम से बंगाल की छवि बिगाड़ने का प्रयास भी कर रहे है.

द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल’ का पोस्टर देखकर भड़की TMC: TMC के एक आला नेता का बोलना है कि मूवी के ट्रेलर को देखकर और पोस्टर देखकर ऐसा लगता है कि इस मूवी के माध्यम से TMC और ममता बनर्जी के इमेज को नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस मूवी के ट्रेलर में जिस तरह से एक महिला को भी दिखाया गया और वह नीले पाड़ की सादी साड़ी पहनी  हुई दिखाई दे रही है और हाथ में एक छोटी घड़ी है और भाषण देते हुए दिखाई दे रही है. बाल का जुड़ा बनाए हुए है. एक नजर में देखकर लगता है कि जैसे वह ममता बनर्जी ही हैं और यह पूरी तरह से बीजेपी प्रायोजित मूवी है.

उन्होंने इस बारें में बोला है कि यह ममता बनर्जी की छवि को नुकसान पहुंचाने का प्रयास भी कर रहा है. एक विशेष संप्रदाय के लोगों की भावना को आहत करने की कोशिश है. इल्जाम भी लगाया जाने लगा है कि यह सच दिखाने के नाम पर झूठ फैला रही है. उन्होंने कहा कि इस मूवी का ट्रेलर राज्य सरकार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पर अटैक किया गया है.

ममता सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश: खबरों का कहना है कि वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पार्थ मुखोपाध्याय बोलते है कि, ” वर्तमान सरकार एक विचित्र नीति को लेकर चल रही है. TMC ने पहले ‘द कश्मीर फाइल्स का विरोध भी किया है. फिर ‘दे केरला स्टोरी’ पर बैन लगा दिया गया और अब द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल’ मूवी रिलीज नहीं हुई है. इसके मूवी निर्देशक को नोटिस भेज दिया गया है.” उन्होंने कहा कि सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के बाद वाममोरचा के शासन काल में मुस्लिमों को आभास हो चुका है और 34 वर्षों के शासन में लेफ्ट ने उनके विकास के लिए कोई काम नहीं किया था और अब TMC के शासन में मुस्लिमों का एक वर्ग इसी तरह की बातें सोचने लग गया. उन्होंने इस बारें में बोला है कि भांगड़ से ISF के विधायक की जीत और सारगरदिघी में TMC की हार उसी ओर संकेत करती है. बता दें कि राज्य में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 30 फीसदी है और यह संप्रदाय पिछले लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी को खुला समर्थन भी किया है.

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