MP के इस अधिकारी की अनूठी पहल, कब्जे से छुड़ाई जमीन पर लगाएं 15 हजार वृक्ष
MP के इस अधिकारी की अनूठी पहल, कब्जे से छुड़ाई जमीन पर लगाएं 15 हजार वृक्ष
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छतरपुर: मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले से एक अनोखी घटना सामने आई है यहाँ एक अफसर ने 12 एकड़ बंजर जमीन को हराभरा कर दिया। अब यहां चारों तरफ फलों से लदे पेड़, हरियाली एवं पक्षियों की मधुर आवाज सुनाई देती है। अफसर की कढ़ी मेहनत से आज यहां हजारों वृक्षों की बगिया एवं नर्सरी बनकर तैयार हो गई है। अफसर की इस पहल को जिले में हर तरफ सराहा जा रहा है। जिले के खनिज अफसर अमित मिश्रा की मेहनत रंग ला रही है। उनके द्वारा तैयार की गई बगिया में फल आने लगे हैं। जिले के किसान भी अफसर की मेहनत की प्रशंसा कर रहे हैं। बगिया के साथ यहां फलदार वृक्षों की नर्सरी भी तैयार की गई है। यह बगिया अब अन्य जिलों के नजीर बनती जा रही है। प्रत्येक जिलों में कब्जामुक्त या बंजर सरकारी भूमि पर इस प्रकार की पहल से बाग एवं अन्य फसलों पर काम किया जा सकता है।

वही कभी शहर के देरी रोड़ पर सरकारी भूमि पर भूमाफियाओं का राज हुआ करता था। आज यहां हजारों हरे-भरे वृक्ष नजर आ रहे हैं। खाली जमीन पर बाग एवं नर्सरी दिखाई दे रही है। 1 वर्ष में यहां का दृश्य बदल गया एवं ऐसा संभव हुआ जिले के खनिज अफसर अमित मिश्रा की मेहनत से। शहर की लगभग 12 एकड़ शासकीय भूमि पर लोगों के द्वारा अवैध कब्जा किया गया था। जमीन को कब्जामुक्त करने के लिए कलेक्टर संदीप कुमार ने आदेश दिए। जमीन को कब्जामुक्त करा लिया गया तथा यह शासन के द्वारा अधिकृत कर ली गई। इस जमीन को कलेक्टर ने खनिज अफसर को सौंप दिया।

खनिज अधिकारी अमित मिश्रा ने बताया कि अतिक्रमण से मुक्त कराई गई 12 एकड़ जमीन पर उन्होंने 15 हजार से अधिक फलदार पौधे लगाए। इन पेड़ों में आम, अमरूद, मोसंबी, आंवला, नींबू, पपीता, अनार और कई अन्य फल देने वाले पेड़ शामिल हैं। वह बताते हैं कि इन पेड़ों को लगाकर उन्होंने सिर्फ अपनी जिम्मेदारी ही नहीं निभाई; इसके बजाय, उन्होंने इसकी शुरुआत की। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से पेड़ लगाए और गड्ढे भी खोदे। वह बताते हैं कि उन्होंने यहां एक-एक करके सैकड़ों पेड़ लगाने का प्रयास किया और आज वे लगभग 15,000 पेड़ लगा चुके हैं। वह समय निकालकर हर हफ्ते 2 से 3 दिन इस गार्डन में आते हैं। अमित मिश्रा ने कहा कि इस गार्डन की स्थापना कर उन्होंने शहर को हरियाली का संदेश दिया है। पहले यह ज़मीन बंजर या अतिक्रमित थी, लेकिन अब यह हरे-भरे बगीचे में बदल गई है। वह कहता है, कि जो कोई उनके बनाए हुए इस बगीचे के फल खाएगा, वह अवश्य उनको स्मरण करेगा। यह पूरी 12 एकड़ जमीन मुक्त हो चुकी है और यहां का वातावरण सुंदर हो रहा है। धीरे-धीरे यहां बाहर से पक्षी भी आने लगे हैं।

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