माता-पिता ने खेती से दूर रखने के लिए बेटों को बोर्डिंग स्कूल में किया था भर्ती, आज कृषि से ही बेटे बने करोड़पति
माता-पिता ने खेती से दूर रखने के लिए बेटों को बोर्डिंग स्कूल में किया था भर्ती, आज कृषि से ही बेटे बने करोड़पति
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अगर मन में लगन और जूनून हो तो इंसान क्या कुछ नहीं कर सकता है उसके लिए मार्ग खुद-ब-खुद बनते चले जाते है वही इस बीच एक ऐसी ही मिसाल हमारे सामने पेश की है पुणे जिले के रहने वाले दो भाई सत्यजीत तथा अजिंक्य ने... सत्यजीत और अजिंक्य किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। MBA की पढ़ाई पूरी करने के पश्चात् दोनों ने अलग-अलग कंपनियों में लगभग 10 वर्ष तक काम किया। वेतन तथा पद दोनों बहुत अच्छे थे, मगर एक बार जो उन्होंने अपने गांव का रुख किया तो वहीं के होकर रह गए। आज दोनों मिलकर फूड फॉरेस्ट के कॉन्सेप्ट पर फार्मिंग और प्रोसेसिंग का काम कर रहे हैं। भारत के साथ-साथ अमेरिका, अफ्रीका, ब्रिटेन समेत कई देशों में अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर रहे हैं। इन्होंने 100 से अधिक व्यक्तियों को रोजगार भी दिया है तथा इनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर 12 करोड़ रुपए है। 

अजिंक्य बोलते हैं कि पिताजी पारंपरिक खेती करते थे। इसमें कोई विशेष आमदनी नहीं होती थी। इसलिए वे चाहते थे कि हम लोग अच्छी पढ़ाई करें तथा खेती से दूर रहें। उन्होंने बचपन में ही हमें बोर्डिंग स्कूल में दाखिला करा दिया जिससे हम गांव से दूर रहें। MBA करने के पश्चात् पहले सत्यजीत की और फिर मेरी नौकरी लग गई। हम दोनों शहर में सेटल हो गए। मतलब खेती तथा अपने गांव से एक प्रकार से कट गए। इसी प्रकार कई वर्ष गुजर गए। एक के पश्चात् एक हम कंपनी भी बदलते गए।

अजिंक्य कहते हैं कि एक बार मेरा गांव जाना हुआ। तब खेतों पर गया, किसानों से मिला। उनके काम तथा प्रोसेस को समझा। आहिस्ता-आहिस्ता मैं उनसे कनेक्ट होने लगा। इसके पश्चात् नौकरी के दौरान जब कभी छुट्टी मिलती, मैं एक दिन के लिए ही सही गांव अवश्य आता था। इसी प्रकार लगभग 2 वर्ष तक चलता रहा। मैं खेती और अलग-अलग फसलों के बारे में जानकारी जुटाता रहा। इसको लेकर रिसर्च तथा मार्केटिंग स्टडी करता रहा। वही इनके द्वारा किए गए काम हम सभी के लिए प्रेरणा है, अगर मन में सच्ची लगन हो तो सब कुछ मुमकिन है...

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