गांधीनगर: गुजरात में लगभग ढाई दशक बाद जंगल में बाघ देखा गया है। वनविभाग कर्मी ने महिसागर जिले में नाईट विजन कैमरे से बाघ की गतिविधियां कैद की है। वहीं, दो दिन पूर्व एक शिक्षक द्वारा भी मोबाइल द्वारा एक बाघ की फोटो खींचे जाने की बात प्रकाश में आई थी। इसके बाद से वनविभाग गुजरात में बाघों की उपस्थिति का पता लगाने के लिए तलाशी अभियान में जुट गया है। साथ ही जानकारों ने राज्य में सरकार से टाइगर सेंचुरी स्थापित करने की मांग की है।
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इससे पहले जनवरी 2017 में गुजरात सरकार को लिखे गए खत में परिमल नथवाणी ने कहा था कि गुजरात-महाराष्ट्र सीमा पर चौकी में महाराष्ट्र पुलिस के दो वाणिज्य अधिकारियों ने भी गुजरात के जंगलों का दौरा किया और वहां उन्हें बाघ दिखाई दिया था। नथवानी ने यह भी कहा था कि यह सही वक़्त है, जब वन विभाग एशियाई शेरों के साथ बाघों के संरक्षण पर फोकस करे। इस राष्ट्रीय पशु के संरक्षण के अलावा, वन्य जानवरों को अपनी खुराक के लिए उष्णकटिबंधीय जानवरों की तादाद को बनाए रखने के लिए पर्याप्त उपाय करने की जरुरत है। उन्होंने आगे कहा था कि यह गुजरात सरकार के लिए इसे एक पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने का उज्ज्वल अवसर है।
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उन्होंने कहा था कि, 'बाघों की उपस्थिति हमारे वन्यजीवों को और समृद्ध बनाएगी। यह सबको पता है कि गुजरात में एशियाई शेरों की मौजूदगी ने पर्यटन क्षेत्र को बहुत प्रोत्साहन दिया है। यदि बाघों के लिए टाइगर सेंचुरी बनाई जाती है, तो गुजरात में पर्यटन क्षेत्र बहुत जल्द ऊंचाई पर आगे बढ़ेगा।
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