कारगिल वॉर में इस महिला जवान का था महत्वपूर्ण योगदान, जानिए इनकी कहानी
कारगिल वॉर में इस महिला जवान का था महत्वपूर्ण योगदान, जानिए इनकी कहानी
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भारतीय सेना के वीर सैनिको ने पड़ोसी देश से भारत की सीमा को सुरक्षित रखने के लिए अपनी जान को हमेशा हथेली पर रखते है। जिस समय भारत और पाकिस्तान के मध्य कारगिल वॉर हुआ तब भारत की सेना ने कारगिल की पहाड़ियों को पाकिस्तान सेना के कब्जे से आज़ाद करवाया था।कारगिल वॉर में बहुत बहादुर सैनिक ने बलिदान दिया, इस युद्ध कैप्टन विक्रम बत्रा का नाम भी सुमार है। पाकिस्तान के साथ युद्ध में शहीद हुए विरो की याद में हर वर्ष 26 जुलाई के दिन कारगिल विजय दिवस के रूप में याद किया जाता है।

कारगिल वॉर से सम्बंधित बहुत सी कहानिया और कई वीरों जवानो के नाम का उल्लेख होते ही भारत वासियों का सीना फक्र से ऊंचा हो जाता है। लेकिन कारगिल युद्ध के समय भारत की सेना में बहुत काबिल महिलाएं भी सम्मलित थीं, उन्होंने  इस युद्ध के अंदर अपना महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। कारगिल वॉर की जाबाज़ महिला जवानो में एक नाम बहुत चर्चित है। यह कारगिल योद्धा का नाम "फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना" है। फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना प्रथम भारतीय महिला पायलट बानी थी , उन्होंने वॉर में पाकिस्तान को धूल चटाई थी।

आइए जानते हैं कारगिल गर्ल के नाम से मशहूर फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना के बारे में

गुंजन सक्सेना वायुसेना के अंदर फ्लाइट लेफ्टिनेंट के स्थान पर रह चुकी हैं। कारगिल गर्ल के नाम से जनि जाने वाली गुंजन सक्सेना सन 1999 में पाक विपरीत हुए कारगिल वॉर में शरीक भारत की बेटी एकमात्र महिला थीं।

गुंजन एक सेना के जवान की पुत्री  हैं। जिन्होंने दिल्ली  University के हंसराज कॉलेज से अपनी शिक्षा पूर्ण की। सनतक के समय वह दिल्ली में सफदरगंज फ्लाइंग क्लब दाखिला कर लिया।उस समय गुंजन को उड़ान भरने की प्रमिक शिक्षा मिली। इसक बाद में एसएसबी परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद गुंजन भारतीय वायुसेना में स्थान प्राप्त कर लिया।

25 वर्ष की आयु में कारगिल युद्ध का बानी हिस्सा 

 सन 1994 भारतीय वायुसेना में वीमेन ट्रेनी पायलट्स के प्रथम बैच में गुंजन कोे स्थान मिला। इस दौरान 25 महिलाएं थीं। केवल 25 वर्ष की आयु में उनकी नियुक्ति 132 फॉरवर्ड एरिया कंट्रोल (FAC) के अंदर हुई । तब इंडिया पाकिस्तान का वॉर शुरू ही हुआ तब गुंजन को श्रीनगर जाने का मौका मिला।

विमान चालक लेफ्टिनेंट गुंजन उधमपुर से श्रीनगर के लिए निकली और अपने परिजन को इस बारे में फोन पर खबर दी। इस समय श्रीनगर में चार हेलीकॉप्टर और 10 पायलटों का समूह तात पर था, इसमें केवल एक महिला गुंजन चीता हेलीकॉप्टर का नेतृत्व कर रही थी।

गुंजन को वॉर में छाती ग्रस्त जवानो को बचाने का कार्य दिया गया था। गुंजन बिना डरे और कोई  हथियार के सहायता के बिना ही बहुत जवानों को बचा कर हॉस्पिटल तक ले गई। गुंजन सक्सेना को अपनी बहादुरी के लिए शौर्य पुरस्कार भी दिया जा चूका है।

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