बालाघाट: मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले से एक अनोखी घटना सामने आई है यहाँ एक व्यक्ति 37 साल की आयु में 15 वर्ष पहले काम की तलाश में निकला था। वह नागपुर में अपने साथियों से बिछड़ गया था। साथियों ने बहुत ढ़ूंढ़ा, मगर वह नहीं मिला। तत्पश्चात, गांव के लोग वापस आ गए। परिवार वालों ने भी कई साल तक तलाश की, किन्तु कोई पता नहीं चला। तत्पश्चात, परिजनों ने ब्रजलाल को मृत समझकर तेरहवीं कर दी। अब 15 वर्ष पश्चात् पता चला कि ब्रजलाल जीवित है तो घरवालों का खुशी का ठिकाना नहीं रहा। ब्रजलाल अब अपने घर लौट चुका है।
प्राप्त खबर के मुताबिक, ब्रजलाल संरक्षित जनजाति बैगा समुदाय का है। वह बालाघाट की नक्सल प्रभावित पुलिस चौकी पाथरी के ग्राम पंचायत लहंगाकन्हार के सोमटोला का रहने वाला है। वह अपने गांव के कुछ लोगों के साथ 15 वर्ष पूर्व मजदूरी करने नागपुर महाराष्ट्र गया था। वहां कुछ दिन तक काम करने के बाद वह भटक गया था। ब्रजलाल को अधिक समझ नहीं थी। इसके चलते वह इतने दिनों तक केरल, छत्तीसगढ़, दिल्ली, पश्चिम बंगाल समेत अन्य स्थान भटकते हुए झारखंड के जमशेदपुर पहुंचा, वहां वह बीमार हालत में भटक रहा था। जमशेदपुर के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सहायता करते हुए ब्रजलाल के लिए इंतजाम किया।
ब्रजलाल पिछले 8 महीने से जमशेदपुर में रह रहा था। ब्रजलाल जब बोलने में समर्थ हुआ, तब उसने बताया कि वह बैगा समाज से है। उसके बताए मुताबिक सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आदिवासी समाज के लोगों से संपर्क किया। इस के चलते पता चला कि ब्रजलाल बालाघाट जिले का निवासी है। तत्पश्चात, ब्रजलाल के परिजनों ने जिला प्रशासन से सहायता की गुहार लगाई। प्रशासन की सहायता से ब्रजलाल घर लौट आया है। उसका सभी ने स्वागत किया। ब्रजलाल की आयु अब 52 वर्ष हो चुकी है। ब्रजलाल ने नागपुर में अपने साथियों से बिछड़ने की कहानी सुनाई तथा कहा कि वह अपने परिवार से मिलकर बहुत खुश है,अब कभी बाहर नहीं जाऊंगा।
टूटा I.N.D.I. गठबंधन! ममता बनर्जी के बाद भगवंत मान ने किया अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान