आज ही बंद करें खुले में शौच करना, वरना...
आज ही बंद करें खुले में शौच करना, वरना...
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सरकार के प्रयास के चलते सभी जगह शौचालय बनाए गए हैं लेकिन बहुत से शोध में यह खुलासा हुआ है कि लोग आज भी शौच के लिए बाहर ही जाते हैं। जी हाँ, शौचालय आज के समय में सभी के लिए रोटी,कपडा, मकान जैसी अहमियत रखता है और इसके बिना जीवन का अंदाजा लगाना मुश्किल है। आजकल लोग शौचालय में जाकर शौच करने को ही उचित मानते हैं जो सही है।

साल 2018 का आँकड़ा- शौचालय को लेकर भारतीय सांख्यिकी संस्थान में एक विजिटिंग रिसर्चर यानी अतिथि शोधकर्ता डायने कॉफ़े के नेतृत्व में एक टीम ने आँकड़ों का विश्लेषण किया है और इस टीम के अनुसार बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में कम से कम 43% लोग ‘सांस्कृतिक और अन्य कारणों’ से खुले में शौच करते हैं। आपको बता दें कि यह साल 2018 का आँकड़ा है और इन 43% लोगों में कई लोग ऐसे भी शामिल हैं जिनके घर में शौचालय बने हुए थे। आज के समय में भी ऐसा होता है कि लोगों के घरों में शौचालय है लेकिन फिर भी परम्परा का हवाला देकर लोग बाहर की ओर भागते हैं। कई लोग बाहर शौच करने को अच्छा मानते हैं ओर उनका मानना है कि ऐसा करने से शुद्ध देसीपन महसूस होता है। इन सभी कारणों को बताकर वह लोग भी बाहर शौच के लिए जाते हैं जिनके घर में शौचालय बने हुए हैं। साल 2018 में क़रीब 23% लोग ऐसे थे जिन्हें स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय उपलब्ध कराया गया था, लेकिन फिर भी वे खुले में शौच करना पसंद करते थे क्योंकि यह उनकी आदत में शामिल है।

केवल शौचालय बनाना नहीं है काफी - सभी को लगता है अगर लोगों के घरों में शौचालय बन जाएगा तो वह शौचालय में ही शौच के लिए जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं है। कई लोग आज भी बाहर ही शौच करना पसंद करते हैं भले ही वह उससे खुद बीमार हो या अन्य लोगों को बीमार करें लेकिन यह कहीं ना कहीं उनकी आदत में शामिल हो गया है। आज के समय में लोगों को जागरूकता की जरूर है जो उनमे फैलाना चाहिए ताकि वह बाहर शौच के लिए ना जाए। लोगों को खुले में शौच से होने वाले नुकसान के बारे में बताना होगा। उन्हें समझाना होगा। उन्हें यकीन दिलाना होगा कि खुले में शौच कितना घातक है तभी खुले में शौच जैसी प्रक्रिया खत्म होगी। केवल शौचालय बनाना ही काफी नहीं है उसके लिए बहुत कुछ करना होगा।

खुले में शौच से मौत - खुले में शौच की वजह से होने वाले नुकसान पर टेक्सास यूनिवर्सिटी के इकोनॉमिस्ट डीन स्पीयर्स और सोशल साइंटिस्ट डाऐन कॉफी ने शोध किया है और दोनों शोधकर्ताओं ने भारत में खुले में शौच से हो रहे नुकसानों पर शोध की तो उन्होंने पाया कि, ''हर साल भारत में करीब 2 लाख बच्चे खुले में शौच जाने की वजह से अपना पांचवा जन्मदिन नहीं मना पाते हैं।'' उनके अनुसार, ''खुले में शौच से फैल रहे संक्रमण की वजह से बच्चों की लंबाई और पोषण पर भी असर पड़ रहा है और खुले में शौच से पैदा होने वाले कीटाणुओं से बच्चों की शारीरिक ही नहीं मानसिक विकास पर भी असर पड़ रहा है।'' वहीं वर्ष 2020 के रिकॉर्ड के बारें में बात करें तो दुनिया भर में 49.4 करोड़ लोगों की जान गई थी, यदि इस दिशा में हो रही प्रगति इसी रफ्तार से जारी रहती है तो दुनिया के अधिकांश इलाका 2030 तक खुले में शौच जैसी कुप्रथा से मुक्त हो जाएंगें। हालांकि उप सहारा अफ्रीका में इस विकास की रफ्तार धीमी है जबकि ओशिनिया में इसमें इजाफा हो रहा है। ओशिनिया में पापुआ न्यू गिनी वह देश है, जहां खुले में शौच की प्रथा सबसे ज्यादा प्रचलित है। वहां करीब 14 लाख लोग या 16 फीसदी आबादी खुले में शौच करने के लिए जाती है।

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