जिला प्रमुख मंजू बाला का पिछले माह दिया गया त्यागपत्र विकास एवं पंचायत विभाग ने विचार करने के बाद आखिरकार स्वीकार कर लिया है. मंजू बाला ने त्यागपत्र 24 दिसंबर 2019 को उपायुक्त के माध्यम से सरकार को भेजा गया था. राज्य सरकार ने पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा पांच के अधीन प्रदत शक्तियों के आधार पर उनका इस्तीफा स्वीकार किया है. मंजू बाला के खिलाफ उनके विरोधी पार्षद लामबंद होने लगे थे. इस बीच उन पर इस्तीफे का दबाव भी बढ़ने लगा था. इससे पूर्व कि अविश्वास प्रस्ताव की नौबत आती मंजू ने इस्तीफा दे दिया था. उन्हें राव इंद्रजीत सिंह की वजह से कुर्सी मिली थी और उन्हीं की वजह से उन्हें कुर्सी से हटना पड़ा.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि राव इंद्रजीत के मजबूत समर्थन के बावजूद जिला प्रमुख की लड़ाई आसान नहीं थी. उन्हें समान वोट रहने पर टॉस के आधार पर जीत मिली थी, लेकिन विधानसभा चुनाव से पूर्व उन्होंने राव का साथ छोड़ दिया था. इसके पीछे उनकी विधानसभा चुनाव लड़ने की महत्वाकांक्षा थी. मंजू ने रेवाड़ी से विधानसभा चुनाव लड़ा भी लेकिन वह डेढ़ हजार वोट भी नहीं ले पाई. इस बीच राव समर्थक खेमा पहले से भी मजबूत हो गया और 13 जिला पार्षदों ने एकत्रित होकर अविश्वास प्रस्ताव लाने का एलान कर दिया था.
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इस स्थिति में पहुंचने के बाद मंजू फिर से राव इंद्रजीत सिंह की शरण में पहुंची परंतु उन्होंने इस्तीफा देने से पूर्व कुछ भी बात सुनने से इनकार कर दिया. ऐसे में मंजू के पास इस्तीफा देना ही एकमात्र विकल्प बच गया था. रेवाड़ी जिला प्रमुख की कुर्सी अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित है ऐसे में अब उन 3 महिलाओं में से किसी एक को कुर्सी मिलेगी जो अनुसूचित जाति से जिला पार्षद हैं. जिला परिषद में कुल 18 सदस्य हैं.
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