नई दिल्लीः केंद्र की मोदी सरकार संस्कृत भाषा के विकास के लिए खासी सक्रिय रही है। इसका मुख्य कारण इसकी विचारधारा रही है। बीजेपी संघ परिवार से आती है जो संस्कृत के व्यापाक प्रचार और प्रसार के लिए संकल्पित है। सरकार के कई वरिष्ठ सासंदों एवे मंत्रियों ने संसद में संस्कृत भाषा में शपथ ली थी। सरकार अब संस्कृत में भी स्कूली शिक्षा देगी। इसके तहत पहली से आठवीं तक की पढ़ाई संस्कृत में होगी। हालांकि इसके जो विषय होंगे, वह राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रुपरेखा के तहत होंगे।
इसमें एक भाषा, गणित और पर्यावरण विषय मुख्य रुप से शामिल होंगे। इनमें भाषा के जगह पर संस्कृत पढ़ाई जाएगी, जबकि गणित के जगह पर वैदिक गणित और पर्यावरण विषय के जगह पर वेदों में पर्यावरण से जुड़ाव से जुड़े पाठ पढ़ाए जाएंगे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय से जुड़ी संस्था राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान ने लंबी कवायद के बाद यह नया पाठ्यक्रम तैयार किया है जिसमें सिंतबर से बच्चों को प्रवेश देने का काम भी शुरू हो जाएगा। फिलहाल इसे लेकर यह तेजी इसलिए भी दिखाई जा रही है।
यह सरकार और एनआईओएस के सौ दिनों के एजेंडे में शामिल है। स्कूलों में मौजूदा वक्त में पढ़ाई सिर्फ हिंदी और अंग्रेजी में ही कराई जाती है। एनआईओएस के अध्यक्ष प्रोफेसर सीबी शर्मा के अनुसार स्कूली शिक्षा के लिए इस कोर्स को तैयार करने में राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रुपरेखा का पूरा ध्यान रखा गया है। साथ ही इसका पाठ्यक्रम कुछ ऐसा तैयार किया जा रहा है, जिसमें प्रत्येक कक्षा का अपना एक अलग पाठ्यक्रम होगा।
पहली से आठवीं तक की पढ़ाई के बीच परीक्षा सिर्फ तीन बार ही होगी। इनमें पहली परीक्षा तीसरी कक्षा के लेवल पर होगी, जो पहली, दूसरी और तीसरी कक्षा का पाठ्यक्रम पर बेस्ड होगी, जबकि दूसरी परीक्षा पांचवीं के लेवल पर होगा, जिसमें चौथी और पांचवीं का पाठ्यक्रम शामिल होगी। इसी तरह तीसरी परीक्षा आठवीं के स्तर पर होगी, जिसमें छठवीं, सातवीं और आठवीं का पूरी पाठ्यक्रम शामिल होगा। बता दें कि संस्कृत देश की प्राचीनतम भाषाओं में शुमार है। वर्तमान में लोगों की इसके प्रति घटती रूचि चितां का विषय है।
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