सामुदायिक रसोई पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मागं जवाब
सामुदायिक रसोई पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मागं जवाब
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नई दिल्लीः भारत की एक बड़ी आबादी निर्धन है। कई रिपोर्टों से पता चला है कि आबादी का एक हिस्सा दो वक्त का खाना नहीं खा नहीं पाता। कई राज्य सरकारों ने अपने यहां सामुदायिक रसोई की शुरूआत की है। जहां बेहद कम कीमत पर भोजन मूहैया कराया जाता है। इसी सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिकादायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि देश के सभी राज्यों में सामुदायिक रसोई स्थापित की जाए। इस याचिका में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सामुदायिक रसोई योजना तैयार करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

कोर्ट ने इस मुद्दे पर केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जस्टिस एन वी रमना और अजय रस्तोगी की पीठ ने केंद्र और विभिन्न मंत्रालयों को नोटिस जारी किया है। याचिका में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएलएसए) को भूख, कुपोषण और भुखमरी से होने वाली मौतों को कम करने के लिए एक योजना तैयार करने के लिए दिशानिर्देश देने की मांग की गई थी। शुरुआत में पीठ ने इस पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि आखिर इस पूरे मुद्दे से एनएलएसए कैसे जुड़ा है।

पीठ ने याचिकाकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता अनुन धवन, ईशान धवन और कुंजना सिंह की तरफ से पेश वकील आशिमा मांडला से पूछा कि एनएलएसए को इसमें क्यों शामिल किया जाना चाहिए। पीठ ने शुरुआत में तो इसे नीतिगत मामला बताया और कहा कि सरकार को इस पर निर्णय लेना चाहिए। हालांकि बाद में पीठ ने याचिका पर सहमति जताते हुए केंद्र, विभिन्न मंत्रालयों और एनएलएसए को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा। याचिका में कहा गया है कि भूख और कूपोषण से पांच साल से कम उम्र के बच्चे मर जाते हैं।

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