RBI ने बदल दिए डिफॉल्टर के नियम, जानिए क्यों
RBI ने बदल दिए डिफॉल्टर के नियम, जानिए क्यों
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आखिर भारतीय रिजर्व RBI के पास ऐसी कौन से जादू की छड़ी आ गई है कि जिसे वो घुमाए और झटके में बैंक डिफॉल्टर पाक साफ़ हो पाएंगे. परिस्थिति यहीं समाप्त नहीं होती. जिन डिफॉल्टर के साथ बैंक सेटलमेंट का काम भी करता है और दोबारा लोन देने के लिए नाकों चने चबवा देता था, तुरंत लोन मिलने स्थिति भी आ सकती है. जी हां, RBI ऐसा ही नियम बना दिया है और बैंकों से साफ BJP दिया है कि विलफुल डिफॉल्टर के साथ सेटलमेंट करिये और 12 माह में सेटल्ड अमाउंट लेकर लोन क्लोज कर दीजिए. अगर उसे दोबारा लोन की जरूरत तो उसे लोन भी दीजिये.

आज से पहले भारतीय बैंकिंग इतिहास में ऐसी परिस्थितियां अब तक नहीं आई है. उस समय भी नहीं जब 7 वर्ष पहले देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने 1000 रुपये और 500 रुपये के नोट को बंद भी कर चुके थे और देश के बैंकों के पास लिक्विडिटी की बाढ़ भी आ चुकी है. इस बार सरकार RBI के माध्यम से  देश के लोगों को बैंकिंग सेक्टर का नया पाठ पढ़ाने को तैयार है. बीते माह RBI  ने 2000 रुपये के नोट के चलन को बंद करने की घोषणा कर दी है और बैंकों में डिपॉजिट या एक्सचेंज कराने की बात भी बोली है. देश की जनता आज्ञाकारी छात्र की तरह बैंकों के बाहर लाइन में लग गई और कुछ ही दिनों में सिस्टम के बाहर फ्रीज पड़े 2000 रुपये के आधे से अधिक नोट बैंकिंग सिस्टम में आ चुकी है.

कम समय में पैसों की बरसात हुई और रुकने का बिकुल भी नाम नहीं ले रही है. रेपो रेट फ्रीज हैं. जिसकी वजह से लोन डिमांड कम है. बैंकों ने डिपॉजिट रेट्स को घटाना शुरू कर दिया है. देश में छोटे-छोटे डिफॉल्टर्स की तादाद लाखों करोड़ों की संख्या में पहुंच चुकी है. जिन्हें बैंकों ने एक तरह से ब्लैक लिस्ट कर दिया है. खास बात तो ये है कि ये लोग डिफॉल्टर जानबूझकर नहीं बने हैं. समय और हालात ने उन्हें बैंकों का डिफॉल्टर बना दिया. अब RBI ऐसे लोगों को डिफॉल्टर की कैटेगिरी से बाहर निकालेगी और आवश्यकता  है तो उन्हें लोन भी देगी.

बैंकों की समस्या हागी दूर: बैंकों के पास लिक्विडिटी का अंबार लग गया है. 3.60 लाख करोड़ रुपये के 2000 रुपये के जो नोट फ्रीज थे, वो अब वापस आने लगे है. आंकड़ों के अनुसार 50 फीसदी से अधिक नोटों की बैंकिंग सिस्टम में वापसी हो गई है. 30 सितंबर तक का वक़्त. बैंकिंग अधिकारियों का इस बारें में बोलना है कि जल्द ही ये भी वापस आ जाएंगे. सवाल यही है इन पैसों को खपाएंगे कैसे? क्योंकि जल्द बैंक लोन डिमांड में इजाफा भी पैदा करने वाली है. इसी वजह से लोन डिफॉल्टर्स के साथ सेटलमेंट कर उन्हें क्लीन किया जाएगा और ज्यादा से ज्यादा लोगों को लोन बांटा जाएगा. इससे बैंकों की समस्या कम होने वाली है.

इन प्वाइंट्स में समझें आरबीआई का नया नियम:  RBI ने दबाव वाली संपत्तियों से अधिकतम वसूली करने के लिए बैंकों को फ्रॉड अकाउंट्स और इरादतन या जानबूझकर डिफॉल्ट के मामलों का निपटारा समझौते के जरिये करने की मंजूरी भी दी जा चुकी है.

RBI के नोटिफिकेशन के अनुसार धोखाधड़ी वाले खातों और कर्ज अदायगी में इरादतन चूक के मामलों में समझौता करने की मंजूरी देते हुए बोला है कि इसके लिए निदेशक-मंडल के स्तर पर पॉलिसीज बनानी पड़ेगी.

इस संबंध में कुछ जरूरी शर्तें भी निर्धारित भी की जा चुकी है. इन शर्तों में कर्ज की न्यूनतम समयसीमा, जमानत पर रखी गई संपत्ति के मूल्य में आई गिरावट जैसे पहलू भी शामिल होने वाले है. बैंकों का निदेशक-मंडल इस तरह के कर्जों में अपने कर्मचारियों की जवाबदेही की जांच के लिए भी एक प्रारूप तय करने वाला है.

रिजर्व बैंक से रेगूलेटिड फाइनेंशियल यूनिट्स इरादतन डिफॉल्टर या धोखाधड़ी के रूप में कैटेगराइज अकाउंट्स के संबंध में ऐसे देनदारों के विरुद्ध जारी आपराधिक कार्रवाई पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर समझौता समाधान या तकनीकी बट्टे-खाते में भी डालने वाली है.

समाधान पॉलिसी में बैंक एक कैलकुलेशन मेथड भी निर्धारित करने वाला है ताकि जमानत पर रखी गई संपत्ति के वसूली-योग्य मूल्य की गणना भी की जा सके. जिससे यह तय हो पाएगा कि संकटग्रस्त कर्जदार से न्यूनतम खर्च पर अधिकतम कितनी वसूली हो सकती है.

जिसके अनुसार, विनियमित इकाइयों के बहीखाते में चिह्नित ऐसे किसी भी वसूली दावे को मौजूदा दिशानिर्देशों के मुताबिक पुनर्गठित कर्ज कहा जा सकता है. 

जिसके साथ साथ समझौते से समाधान होने की स्थिति में संबंधित देनदार को नया कर्ज देने का कूलिंग पीरियड रखा जाने वाला है, ताकि बैंकों के जोखिम को कम किया जा सके. एग्री लोन से इतर कर्जों में यह अवधि 12 महीनों कटक की हो सकती है.

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