1 जुलाई से ऑफिस में बढ़ेंगे काम के घंटे और इन हैंड सैलरी होगी कम!
1 जुलाई से ऑफिस में बढ़ेंगे काम के घंटे और इन हैंड सैलरी होगी कम!
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आगामी 1 जुलाई से कामकाज में बड़ा बदलाव आने वाला है। जी दरअसल नया लेबर कोड (Labour Code) लागू होने से काम के घंटे, PF में जमा होने वाली रकम और हर महीने हाथ में आने वाली सैलरी ( In Hand Salary ) में बदलाव होने वाला है। जी दरअसल नए लेबर कोड के मुताबिक ऑफिस में काम के घंटे (Office Hours) और पीएफ में जमा होने वाली रकम बढ़ सकती है। वहीँ इन हैंड सैलरी घट सकती है।

जी दरअसल सरकार ने पहले ही लेबर कोड तैयार कर लिया है और इसे राज्यों में लागू किया जाने वाला है। कई राज्यों में अभी इस पर विचार चल रहा है, हालाँकि 1 जुलाई से नए लेबर कोड अमल में आने की पूरी संभावना है। मिली खबर के मुताबिक सरकार ने 4 नए लेबर कोड तैयार किए हैं। कहा जा रहा है सरकार की तैयारी इन सभी लेबर कोड को जल्द से जल्द लागू कराने पर है, हालांकि कुछ राज्यों ने इस लेबर कोड को लेकर अपने नियम तैयार नहीं किए हैं जिससे इसे लागू करने में देरी देखी जा रही है। इसके अलावा ऐसा माना जा रहा है कि राज्य इस काम को जल्द पूरा कर लेंगे और 1 जुलाई से नए नियम-कानून अमल में आ जाएंगे।

निवेश और रोजगार बढ़ेंगे- जी दरअसल सरकार का कहना है कि नए श्रम कानून से देश में निवेश बढ़ेगा जिससे कि रोजगार में भी बढ़ोतरी की संभावना है। केवल यही नहीं बल्कि नए लेबर कानून से कंपनियों को अपने ऑफिस ऑवर में बदलाव करने की गुंजाइश मिलेगी। इसी के साथ कंपनियां अपने काम के हिसाब से ऑफिस की टाइमिंग सेट कर सकती हैं। फिलहाल ऑफिस में 8-9 घंटे तक काम होता है लेकिन अब इसे बढ़ाकर 12 घंटे तक किया जा सकता है। हालाँकि इन अधिक घंटे की भरपाई के लिए कंपनियों को हफ्ते में 3 ऑफ देने होंगे। ऐसा इसिलए किया जाएगा ताकि हफ्ते में काम के घंटे की लिमिट बरकरार रहे।

क्या होगा बदलाव- इसके अलावा एक और महत्वपूर्ण बदलाव टेक-होम सैलरी और प्रोविडेंट फंड में कंपनियों की ओर से जमा होने वाले पैसे पर देखा जा सकता है। जी दरअसल नए लेबर कोड कर्मचारी के मूल वेतन को ग्रॉस सैलरी का 50 प्रतिशत निर्धारित कर सकते हैं। हालांकि इससे कर्मचारियों को फायदा होगा और पीएफ में कर्मचारी और कंपनी का जमा पैसा बढ़ेगा। केवल यही नहीं बल्कि टेक होम सैलरी कुछ कर्मचारियों की घटेगी, खासकर प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों की। फिलहाल 23 राज्यों ने लेबर कोड का रूल तैयार कर लिया है। हालाँकि बाकी के 7 राज्य इस पर काम कर रहे हैं। वहीँ सरकार ने सेंट्रल लेबर लॉ को 4 अलग-अलग कोड में बांट दिया है और इसमें तनख्वाह, सामाजिक सुरक्षा, उद्योग और कर्मचारियों के बीच संबंध, काम के दौरान सुरक्षा और स्वास्थ्य के साथ वर्किंग कंडीशन जैसी शर्तों को शामिल किया गया है। जी हाँ और इन सभी कोड को संसद ने पारित कर दिया है। लेकिन श्रम कानून समवर्ती सूची में आते हैं, इसलिए केंद्र चाहता है कि राज्य इन नियमों को एक बार में लागू करें।

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