'न रावण-कंस के अहंकार से मिटा, न बाबर-औरंगज़ेब के अत्याचार से..', CM योगी बोले- वह 'सनातन' इन तुच्छ सत्ता परजीवियों से क्या मिटेगा..
'न रावण-कंस के अहंकार से मिटा, न बाबर-औरंगज़ेब के अत्याचार से..', CM योगी बोले- वह 'सनातन' इन तुच्छ सत्ता परजीवियों से क्या मिटेगा..
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को कहा कि सनातन धर्म पर अतीत में हुए कई हमलों से इसे कोई नुकसान नहीं हुआ और आज भी सत्ता के भूखे किसी भी "परजीवी प्राणी" से इसे कोई नुकसान नहीं होने वाला है। उनका यह बयान तमिलनाडु की सत्ताधारी DMK नेता उदयनिधि स्टालिन द्वारा 'सनातन धर्म को पूरी तरह ख़त्म करने' वाले बयान के बाद शुरू हुए विवाद के बीच आया है।

 

सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने ट्विटर हैंडल से एक कविता रुपी कुछ पंक्तियाँ लिखते हुए कहा कि, 'जो सनातन नहीं मिटा था रावण के अहंकार से, जो सनातन नहीं डिगा था कंस की हुंकार से, जो सनातन नहीं मिटा था बाबर और औरंगजेब के अत्याचार से, वह सनातन इन तुच्छ सत्ता परजीवी जीवों से क्या मिट पाएगा।' दरअसल, मुख्यमंत्री जन्माष्टमी के अवसर पर पुलिस लाइन में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में बोल रहे थे। तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन के बेटे और पिता के ही कैबिनेट में मंत्री एमके स्टालिन ने अपनी टिप्पणी में सनातन धर्म की तुलना कोरोना वायरस और मलेरिया, डेंगू से करते हुए कहा था कि 'ऐसी चीजों का विरोध नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि उन्हें नष्ट कर दिया जाना चाहिए। हमें सनातन धर्म को पूरी तरह ख़त्म करना होगा।' बिना किसी का नाम लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सनातन धर्म पर उंगली उठाना मानवता को संकट में डालने का कुत्सित प्रयास करने के समान है।

सीएम योगी ने सनातन धर्म को सूर्य की तरह ऊर्जा का स्रोत करार दिया। उन्होंने कहा कि, 'केवल एक मूर्ख ही सूर्य पर थूकने के बारे में सोच सकता है, क्योंकि यह स्वाभाविक रूप से थूकने वाले व्यक्ति के चेहरे पर ही वापस आएगा।' विपक्षी दलों पर कटाक्ष करते हुए सीएम योगी ने कहा कि उनकी आने वाली पीढ़ियां उनके कुकर्मों के कारण बेहद शर्मिंदगी में रहेंगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हर किसी को भारत की परंपरा पर गर्व महसूस करना चाहिए। सीएम योगी ने कहा कि, 'जिन्होंने भगवान को नष्ट करने की कोशिश की, वे स्वयं नष्ट हो गए। 500 साल पहले सनातन का अपमान हुआ था। आज, अयोध्या में राम मंदिर बनाया जा रहा है। विपक्ष तुच्छ राजनीति करने की कोशिश कर रहा है, भारत की प्रगति में बाधा पैदा करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन अब यह काम नहीं करेगा।'

 

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि, "हर युग में सत्य को झुठलाने की कोशिशें हुई हैं। क्या रावण ने झूठ बोलने की कोशिश नहीं की थी? उससे पहले क्या हिरण्यकश्यप ने भगवान और सनातन धर्म का अपमान करने की कोशिश नहीं की थी? क्या कंस ने ईश्वरीय सत्ता को चुनौती नहीं दी थी? लेकिन, उन्होंने उनके दुर्भावनापूर्ण प्रयासों में सभी नष्ट हो गए। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सनातन धर्म शाश्वत सत्य है। इसे नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता।'' सीएम योगी ने लोगों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भगवान कृष्ण का जन्म धर्म, सत्य और न्याय की स्थापना के लिए भगवान विष्णु के अवतार के रूप में हुआ था।

उदयनिधि स्टालिन का सनातन धर्म विरोधी बयान:-

बता दें कि, तमिलनाडु में हुए एक कार्यक्रम में मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा था कि, ‘कुछ चीजों का विरोध नहीं किया जा सकता है, उन्हें समाप्त कर दिया जाना चाहिए। हम डेंगू, मच्छर, मलेरिया या कोरोना का विरोध नहीं कर सकते, हमें इन्हें ख़त्म करना है। इसी तरह, हमें सनातन धर्म का विरोध करने के बजाय उसे खत्म करना होगा।' बाद में भी उन्होंने यही कहा कि, वो लगातार यह बात कहते रहेंगे और सनातन धर्म का विरोध करते रहेंगे। हालाँकि, विवाद बढ़ा तो उदयनिधि ने सफाई दी कि, वे सामाजिक समानता की बात कर रहे थे, यानी जातिवाद की। हालाँकि, ये गौर करने वाली बात है कि,  जातिवाद मिटाने की बात प्रधानमंत्री मोदी, RSS चीफ मोहन भागवत से लेकर कई दलों के कई नेता करते रहे हैं, इसे समाज सुधार की कोशिश के रूप में देखा जाता है और कोई विवाद नहीं होता, लेकिन जब पूरे धर्म का ही नाश करने की बात की जाए और नेतागण (कुछ कांग्रेस नेताओं का उदयनिधि को समर्थन) उसका समर्थन भी करें, तो ये निश्चित ही नफरत फ़ैलाने वाली बात है। यही कारण है कि, कई पूर्व जजों, आईएएस अधिकारीयों (262 गणमान्य नागरिकों) ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर उदयनिधि के बयान पर स्वतः संज्ञान लेने और कार्रवाई करने का आग्रह किया है। 

यह भी गौर करने वाली बात है कि, यदि किसी दूसरे धर्म को इस तरह खत्म करने की बात कही गई होती, तो क्या यही होता, जो उदयनिधि वाले मामले में हो रहा है ? क्योंकि, जातिवाद तो हर धर्म में है, इस्लाम में भी शिया-सुन्नी के साथ 72 फिरके (कुछ जगह 73) हैं, जिनमे से कई एक-दूसरे के विरोधी हैं, तो वहीं ईसाईयों में प्रोटेस्टेंट- रोमन केथलिक, पेंटिकोस्टल, यहोवा साक्षी में आपसी विरोध है। तो क्या समाज सुधारने के लिए उदयनिधि, इन धर्मों को पूरी तरह ख़त्म करने की बात कह सकते हैं ? या फिर दुनिया में एकमात्र धर्म जो वसुधैव कुटुंबकम (पूरा विश्व एक परिवार है), सर्वे भवन्तु सुखिनः (सभी सुखिन रहें) जैसे सिद्धांतों पर चलता है, जो यह मानता है कि, ईश्वर एक है और सभी लोग उसे भिन्न-भिन्न रूप में पूजते हैं, उस सनातन को ही निशाना बनाएँगे ?     

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