JNU Violence case: भारी संख्या में ​पुलिस बल तैनात, विपक्षी दलों ने वजह का किया खुलासा
JNU Violence case: भारी संख्या में ​पुलिस बल तैनात, विपक्षी दलों ने वजह का किया खुलासा
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रविवार शाम को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुई जबरदस्त हिंसा के बाद लगातार तीसरे दिन कैंपस में तनाव की स्थिति बनी हुई है. इसके मद्देनजर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है. वहीं, इससे पहले जेएनयू में रविवार को हुई हिंसा पर सोमवार को जबर्दस्त सियासी घमासान दिखा. पूरे दिन राजनीतिक दलों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहा. कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने हिंसा के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया.

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अपने बयान में सरकार ने कहा है कि विश्वविद्यालयों को राजनीति का अड्डा नहीं बनने देंगे. जेएनयू में हिंसा के खिलाफ देश में कुछ जगहों पर प्रदर्शन भी हुआ. सोमवार को विश्वविद्यालय परिसर में तनावपूर्ण शांति रही. पूरे दिन पुलिस की गाड़ियां परिसर के आसपास मंडराती रहीं. पुलिस ने एफआइआर दर्ज की है, लेकिन अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हो सकी है.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि गौरतलब है कि कुछ नकाबपोश लोगों ने रविवार को जेएनयू के छात्रों व शिक्षकों को निशाना बनाया था. हमले में दो दर्जन से ज्यादा लोग घायल हुए थे. सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि उपद्रवी तत्वों को सरकारी पक्ष का प्रोत्साहन मिल रहा है. कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम और रणदीप सुरजेवाला ने भी भाजपा पर निशाना साधा. कांग्रेस ने घटना की न्यायिक जांच की मांग की है. शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने तो घटना की तुलना मुंबई में हुए 26/11 के आतंकी हमले से कर दी. बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने घटना को ‘फासीवादी सर्जिकल स्ट्राइक’ की संज्ञा दी. मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने छात्रों की सुरक्षा में विफल रहने को लेकर दिल्ली पुलिस पर निशाना साधा है. हिंसा और उसके बाद की राजनीति पर मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि शिक्षण संस्थानों का काम छात्रों को शिक्षा देना है. इनका राजनीतिक हितों के लिए इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. मंत्रलय ने जेएनयू के अधिकारियों को बुलाकर मामले की जानकारी भी ली.

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