महाभारत में कृष्ण ने किया शिशुपाल वध
महाभारत में कृष्ण ने किया शिशुपाल वध
Share:

महाभारत में अब समय तेजी से बीत रहा है और हर घटना उस महायुद्ध की तरफ एक इशारा कर रही है. इसके साथ ही गुरुवार के एपिसोड में युधिष्ठिर को इंद्रप्रस्थ का राजा बना दिया जाता है और शिशुपाल का वध हो जाता है. वहीं युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ के लिए पूरे हस्तिनापुर, कृष्ण- बलराम और सभी राज्य के राजाओं-महाराजों को बुलावा भेजा है. शिशुपाल भी छेदी राज्य से निकल पड़ा है इंद्रप्रस्थ आने के लिए. परन्तु उसे ये नहीं पता कि वो अपने काल की तरफ जा रहा है. वहीं असल मे जब शिशुपाल का जन्म हुआ था, तो सभी दासियां उस बालक की अतिरिक्त बाहू और नेत्र देखकर डर गईं, उन्होंने तो रानी सृतश्रवा को उस राक्षस रूपी बच्चे को फेंकने का सुझाव तक दे दिया था परन्तु रानी रोते हुए ईश्वर को गुहार लगाने लगीं. इसके अलावा आकाशवाणी हुई कि,' इस बालक को मत फेंको, ये बालक परमवीर होगा, ये भविष्य की धरोहर है." इसके साथ ही ये भी भविष्यवाणी हुई कि "जिसकी गोद में इस बालक के अतिरिक्त बाहू और नेत्र जिसकी गोद मे झड़ेंगे वो इसका वध करेगा." वहीं उसी समय किशोर कृष्ण और बलराम भी अपने माता-पिता देवकी-वासुदेव के साथ वहां पहुंच गए अपनी छोटी बुआ से मिलने. 

एक -एक कर सभी ने शिशुपाल को गोद में खिलाना शुरू किया जैसे ही कृष्ण ने उसे अपनी गोद में लिया तो उस बालक की अतिरिक्त बाहू और नेत्र झाड़ गए जिसे देख रानी सृतश्रवा चिंतित हो गई. वो कृष्ण के पास आती हैं अपनी व्यथा लेकर, सब बताने के बाद वो कृष्ण से वचन मांगती है.यज्ञशाला में राजसूय यज्ञ शुरू हो गया. युधिष्ठिर के इस राजसूय यज्ञ में सभी सम्मिलित हुए ये देख दुर्योधन को क्रोध भी आ रहा है परन्तु  मामा शकुनि के कहे अनुसार बनावटी खुशी लिए शामिल हुआ है. यज्ञ समाप्त कर धृतराष्ट्र और विदुर राजमहल के अंदर आते हैं, शकुनि और दुर्योधन अपने अनुजों कर साथ इंद्रप्रस्थ भवन के अंदर आते हैं और भवन को देख दुर्योधन को ईर्ष्या होने लगती है. फिर कर्ण आता है, अर्जुन उसका स्वागत करता है, और कर्ण को देख कुंती खुश होती है. जयद्रथ भी आता है, फिर राजा द्रुपद आते हैं, द्रोणाचार्य और कृपाचार्य भी आते हैं. अंत में युधिष्ठिर, भीष्म पितामह, कुंती, और सुभद्रा संग सब भवन में आ जाते हैं. इसके साथ ही युधिष्टर सभी को प्रणाम करते हैं. भीष्म युधिष्ठिर को अतिथियों का सत्कार करने को कहते हैं, इसपर युधिष्ठिर उन्हीं से पूछते हैं कि पहले किसका सत्कार करूं, वेद व्यास जी का या फ‍िर भीष्म पितामह का. 

आपकी जानकारी के लिए बता दें की भीष्म मना करते हुए कहते हैं कि, "इस सभा में ही नहीं पूरे त्रिलोक में यदुवंश शिरोमणि वासुदेव श्री कृष्ण के अतिरिक्त किसी और की अग्रिमपूजा हो ही नहीं सकती. "भीष्म के कहने पर श्री कृष्ण अपना स्थान ग्रहण करते हैं, अग्रिमपूजा आरम्भ होती है. नकुल श्री कृष्ण के पग धोकर उन्हें फूलों की माला पहनाते हैं कि तभी वहां शिशुपाल क्रोधित होता हुआ आता है और कृष्ण की अग्रिमपूज करने से मना करता है. बलराम उसे रोकते भी हैं लेकिन वो शांत नहीं होता. इसपर भीम और अर्जुन भी शिशुपाल पर क्रोध जताते हैं परन्तु युधिष्ठिर उन्हें रोकते हैं और कृष्ण भी कहते हैं कि," आतिथेय की मर्यादा का उलंघन ना करो, बोलने दो इसे, आज इसके ही बोलने के दिन हैं." शिशुपाल ने बोलना शुरू किया, उसने ना सिर्फ कृष्ण को भरी सभा मे अपमानित किया बल्कि पितामह भीष्म का, विदुर का, कुंती का सभी का अपमान किया. कृष्ण तब तक शांत रहे जब तक शिशुपाल ने 100 गलतियां नहीं कर ली.लेकिन 100 गलतियों के बाद कृष्ण ने अपना सुदर्शन चक्र निकाला और शीशपाल का वध कर दिया. कृष्ण की उंगली से रक्त निकलने लगा, इसपर द्रोपदी दौड़कर गईं और अपने चुनरी फाड़कर कृष्ण की उंगली में लपेट दिया. इस प्रकार कृष्ण द्रोपदी के ऋणी हो गए और उन्होंने द्रोपदी को वचन दिया कि समय आने पर वो एक एक धागे का ऋण उतारेंगे.

Android Tv : गूगल ने ऑडियो कास्ट की समस्या को किया दूर, जानें कैसे

अब मास्क और सोशल डिस्टन्सिंग का ध्यान रखेगा सीसीटीवी, ऐसे करेगा संस्थान को अलर्ट

रामायण के इस सीन को शूट करते वक्त रो दिया था सेट पर मौजूद हर शख्स

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -