श्रीकृष्ण के गीता-सार ने अर्जुन की खोली आंखें
श्रीकृष्ण के गीता-सार ने अर्जुन की खोली आंखें
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टीवी सीरियल महाभारत (Mahabharat)की अब तक की कहानी में आपने देखा है कि युद्ध के लिए दुर्योधन और पांडवों की सेना कुरुक्षेत्र में तैयार हो जाती हैं लेकिन अपने परिवार को सामने देखकर अर्जुन घबरा जाते हैं। अर्जुन की दुविधा देखकर उनके सारथी बने श्रीकृष्ण उन्हें समझाने की कोशिश करते हैं। लेकिन, अर्जुन भीष्म पितामह और आचार्य द्रोणाचार्य के आगे अस्त्र नहीं उठाने की बात कहते हैं। वहीं, आज सुबह के एपिसोड में भी यही कहानी दिखाई गई है। श्रीकृष्ण पहले अर्जुन को मनाने की कोशिश करते हैं। अर्जुन को इतना परेशान देखकर श्रीकृष्ण गीता का उपदेश देना शुरु कर देते हैं। श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं जो लोग अपने मन पर नियंत्रण नहीं कर पाते वो लोग अपने ही दुश्मन बन जाते हैं। खुद पर काबू रखना बहुत जरुरी है|

आपकी जानकारी के लिए बता दें की श्रीकृष्ण की बात सुनकर भी अर्जुन अपने हथियार उठाने से इनकार कर देते हैं। ऐसे में श्रीकृष्ण आगे कहते हैं खुद पर यकीन करना बहुत जरुरी है। यकीन होने पर कोई भी काम चुटकियों में पूरा किया जा सकता है। अशांत मन को काबू करना बहुत मुश्किल काम है लेकिन बार-बार प्रयास करने से मन पर भी नियंत्रण किया जा सकता है। अपनी असमंजसता भुलाकर सोच-समझ कर फैसला लो और लड़ाई के लिए तैयार हो जाओ।श्रीकृष्ण के मुंह से ऐसी बात सुनकर धृतराष्ट्र भड़क जाता है। वो श्रीकृष्ण पर अर्जुन को भड़काने का आरोप लगाता है। ऐसे में संजय धृतराष्ट्र को शांत करवाता है। जबकि, दूसरी तरफ श्रीकृष्ण अर्जुन को गीता का सार देते हुए कहते हैं कि, किसी भी चीज की अधिकता करना सही नहीं है। चाहे रिश्ते हो या फिर खाना एक सीमा में रह कर ही जिंदगी जीना सही होता है। प्यार और कड़वाहट में संतुलन बनाए रखना बहुत जरुरी है।

इसके आगे श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि यह युद्ध धर्म के लिए लड़ा जा रहा है। संबंधों के लिए नहीं... ऐसे में हथियार उठाना तुम्हारा धर्म है। अगर तुम लड़ाई नहीं करोगे तो युद्ध का निर्णय कैसे होगा। मेरा इस युद्ध में कोई भी काम नहीं है लेकिन फिर भी मैं तुम्हारे साथ खड़ा हूं क्योंकि अगर मैंने कर्म छोड़ दिया तो ये धरती नष्ट हो जाएगी। श्रीकृष्ण की ये बात सुनकर संजय और धृतराष्ट्र दोनों ही हैरान हो जाते हैं। इसके बाद वो श्रीकृष्ण को कोई दैवीय शक्ति बताते हैं। वहीं, दूसरी तरफ श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि युद्ध करना पाप नहीं है। तुम बिना किसी स्वार्थ के लड़ाई करने जा रहे हो। ऐसे में परिवार का मोह छोड़ दो और अपना काम करो। आत्मा की चिंता करो। देह मन और बुद्धि कुछ समय के लिए रहते हैं लेकिन आत्मा कभी नहीं मरती।

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