जुमे की नमाज पढ़ने के लिए अदालती कार्यवाही बीच में छोड़ चले गए वकील, नाराज जज बोले- 'कर्तव्यों की इज्जत कीजिए'
जुमे की नमाज पढ़ने के लिए अदालती कार्यवाही बीच में छोड़ चले गए वकील, नाराज जज बोले- 'कर्तव्यों की इज्जत कीजिए'
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लखनऊ: यूपी की राजधानी लखनऊ की स्थानीय कोर्ट ने कुछ मुस्लिम अधिवक्ताओं के बर्ताव पर चिंता जताई है। कोर्ट का कहना है कि कार्यवाही बीच में छोड़ ये लोग जुमे की नमाज के लिए चले जाते हैं। मुस्लिम अधिवक्ताओं के ऐसे बर्ताव के बाद अवैध धर्म परिवर्तन से संबंधित एक केस को लेकर 19 जनवरी 2023 को इसके दोषियों को एमिकस क्यूरी देने का निर्देश दिया। लखनऊ स्थित NIA/ATS अदालत के स्पेशल जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने नसीहत देते हुए कहा कि इन अधिवक्ताओं को यह ध्यान रखना चाहिए कि कर्म ही पूजा है तथा उन्हें अपने न्यायिक कर्तव्यों की इज्जत करनी चाहिए।

स्पेशल जज त्रिपाठी ने एमिकस क्यूरी (अदालती दोस्त/न्याय मित्र मतलब न्यायालय की सहायता करने वाला) देने का निर्देश देते हुए कहा, “अगर मुस्लिम अधिवक्ता नमाज पढ़ने के लिए अदालती कार्यवाही से स्वयं को दूर रखते हैं तो अवैध धर्म परिवर्तन मामले के दोषियों को एमिकस क्यूरी (Amicus Curiae) दिया जाए। ये मुकदमे की कार्यवाही जारी रख सकते हैं जिससे अदालती कार्यवाही बाधित न हो।” स्पेशल जज त्रिपाठी ने अवैध धर्म परिवर्तन मामले के आरोपित मौलाना कलीमुद्दीन और अन्य के खिलाफ आपराधिक मुकदमे की सुनवाई के चलते ये आदेश दिया। यही नहीं, कोर्ट ने एक आरोपित की पैरवी कर रहे कुछ अधिवक्ताओं के द्वारा निश्चित दस्तावेजों की माँग वाली याचिका को भी खारिज कर दिया।

वही इसके साथ ही कोर्ट ने इन अधिवक्ताओं को अदालती कार्यवाही में तय समय के अंदर ही कोई भी आवेदन दायर करने की चेतावनी भी दी। दरअसल, इस मामले में मुकदमे की कार्यवाही के चलते  शुक्रवार को गवाहों की जिरह का समय तय किया गया था। किन्तु अधिवक्ता मोहम्मद अमीर नकवी एवं वकील जिया-उल-जिलानी ने जिरह जारी रखने से मना किया। दोनों अधिवक्ताओं ने दोपहर लगभग 12.30 बजे कोर्ट को जानकारी दी कि शुक्रवार होने की वजह से वो जिरह जारी नहीं रख पाएँगे, उन्हें नमाज पढ़ने जाना है।

आरोपित मौलाना ने भी कोर्ट से जुमे की नमाज के लिए उसे जिरह से छोड़ देने की अनुमति माँगी थी। जज ने उससे कहा कि ऐसे काम के लिए उसे कोर्ट छोड़ने की अनुमति देना सही नहीं होगा। हालाँकि, बाद में कोर्ट को हालात से विवश होकर मुकदमे की कार्यवाही रोकनी पड़ी। कोर्ट ने कुछ दोषियों के मुस्लिम अधिवक्ताओं को चेतावनी देते हुए अदालत के कर्मचारी को आरोपितों के लिए न्याय मित्र नियुक्त करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि यदि मुस्लिम अधिवक्ता नमाज पढ़ने के लिए कोर्ट रूम से बाहर जाते रहे तो सुनवाई पूरी नहीं होगी।

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