नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर में बॉर्डर पर रहने वाले लोगों के लिए आरक्षण विधेयक लोकसभा में पारित हो गया है. इसके साथ ही जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन 6 माह और बढ़ाने का प्रस्ताव भी लोकसभा में पारित हो गया. इससे पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 में संशोधन के लिए शुक्रवार को लोकसभा में सबके समक्ष बिल पेश किया, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर के 10 किमी के दायरे में रहने वाले लोगों को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 3 प्रतिशत आरक्षण को विस्तार दिया गया है.
जम्मू कश्मीर आरक्षण अधिनियम सीधी भर्ती, पदोन्नति और विभिन्न श्रेणियों में कई व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश पाने के लिए आरक्षण देता है, किन्तु इसका विस्तार अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर से लगे लोगों के लिए नहीं था. इस क्षेत्र को पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी का सामना करना पड़ता है, जिससे लोगों को अक्सर सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है.
अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि, "सीमा पर लगातार तनाव की वजह से, अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगे लोगों को सामाजिक-आर्थिक व शैक्षिक पिछड़ेपन को झेलना पड़ता है." उन्होंने कहा है कि इन क्षेत्रों के निवासियों को बार-बार तनाव की वजह से सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ता है और इससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है क्योंकि बॉर्डर के पास के शिक्षण संस्थान काफी समय तक बंद रहते हैं.
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