इलाज के लिए गिड़गिड़ा रहे थे परिजन, इस अस्पताल ने नहीं किया भर्ती
इलाज के लिए गिड़गिड़ा रहे थे परिजन, इस अस्पताल ने नहीं किया भर्ती
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इंदौर: पूरे देश में कोरोना का कहर लगातार बढ़ते जा रहा है. अस्पताल और डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव और संदिग्धों के इलाज में जी जान से जुटे हुए हैं. प्रशासन ने अस्पतालों को रेड, ग्रीन और यलो कैटेगरी में बांटकर इलाज की जिम्मेदारी भी तय कर दी है. इन सबके बीच उन मरीजों को खासी परेशानी भी हो रही है जो दूसरी बीमारियों से पीड़ित हैं. इनके स्वजन मरीजों को लिए अस्पताल-अस्पताल भटक रहे हैं. यह गुहार लगा रहे हैं कि साहब, हमारे मरीज को कोरोना नहीं बल्कि शुगर, दिल, किडनी की बीमारी है. आप तो भर्ती करके इलाज शुरू करवा दो, लेकिन न अधिकारी ये बात सुन रहे हैं न अस्पताल प्रबंधन. पिछले दस दिन में कोरोना से इंदौर और उज्जैन संभाग में 10 मौत हो गई है, लेकिन इससे कही ज्यादा मौतें दूसरी बीमारियों की कारण से हुई हैं. इनमें ज्यादातर को वक्त पर इलाज नहीं मिल सका.

एक मामला द्वारकापुरी से सामने आया है. उषा पाठक (60) को घबराहट और बेचैनी की शिकायत के बाद स्वजन यूनिक अस्पताल लेकर पहुंचे. यहां गेट पर तैनात गार्ड ने यह कहते हुए उन्हें लौटा दिया कि अस्पताल में किसी को भर्ती नहीं किया जा रहा है. स्वजन सतीश पाठक के अनुसार, मरीज को लेकर वे यूनिक से चोइथराम अस्पताल पहुंचे, लेकिन यहां भी इलाज नहीं मिला. यहां तैनात गार्ड ने लौटाते हुए कहा कि आप इन्हें एमवायएच ले जाओ. इस वक्त सिर्फ वहीं इलाज हो रहा है. परेशान स्वजन एमवायएच पहुंचे. यहां मरीज को भर्ती कर इलाज शुरू ही हुआ था कि उनकी मौत हो गई. स्वजन का आरोप है कि समय रहते इलाज मिल जाता तो जान बचाई जा सकती थी.

वहीं दूसरा मामला खातीवाला टैंक क्षेत्र निवासी बीमा कंपनी के सेवानिवृत्त अधिकारी एमएस खान को न्यूरोलॉजिकल समस्या थी. उनका इलाज मेदांता अस्पताल में चल रहा था. शुक्रवार रात अचानक उन्हें घबराहट होने लगी. तबीयत बिगड़ी तो स्वजन मेदांता अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन वहां यह कहते हुए मरीज को लौटा दिया गया कि फिलहाल इलाज बंद है. परेशान स्वजन बॉम्बे अस्पताल पहुंचे लेकिन यहां भी इलाज नहीं मिला. बॉम्बे अस्पताल से मरीज को अरबिंदो अस्पताल भेज दिया गया. स्वजन एमझेड खान ने बताया कि अरबिंदो में मरीज को कोरोना के अन्य मरीजों के आईसीयू वार्ड में भर्ती कर दिया गया. दूसरे मरीजों की हालत बिगड़ती देख उन्हें अटैक आ गया और उनकी मौत हो गई. स्वजन का आरोप है कि समय रहते अन्य निजी अस्पतालों में इलाज मिल जाता तो जान बचाई जा सकती थी.

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