Ind VS Pak: स्टेडियम में 'जय श्री राम' के नारों से उदयनिधि स्टालिन को हुई पीड़ा, पहले भी सनातन धर्म पर उगल चुके हैं जहर !
Ind VS Pak: स्टेडियम में 'जय श्री राम' के नारों से उदयनिधि स्टालिन को हुई पीड़ा, पहले भी सनातन धर्म पर उगल चुके हैं जहर !
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नई दिल्ली: अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट विश्व कप का मैच खेला गया, जिसमे पाकिस्तानी टीम बुरी तरह हारी। टीम इंडिया ने 50 ओवरों के वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ निरंतर 8वाँ मुकाबला जीता, जो 7 विकेट के बड़े अंतर से था। ये मैच एक लाख से ज्यादा दर्शकों की मौजूदगी में खेला गया, जिसे दुनिया भर के करोड़ों लोगों ने टीवी-ऑनलाइन स्ट्रीमिंग के जरिए भी देखा।

ये मैच पाकिस्तान की बुरी हार के साथ ही भारत की जनता की एकजुटता के लिए भी याद किया जाएगा, जिसमें अहमदाबाद के दर्शकों ने न केवल एकजुटता प्रदर्शित करने वाला ‘जय श्री राम’ का नारा लगाया, बल्कि एक लाख से अधिक हिन्दुस्तानियों ने एक सुर में हमारा राष्ट्रगीत वन्दे मातरम् भी गया, जो गूसबम्प्स लाने वाला क्षण था। अहमदाबाद में ‘जय श्री राम’ के नारों से पाकिस्तानियों को मिर्ची लगना तो स्वाभाविक था ही, लेकिन इससे भारत के कुछ एंटी हिंदू एलिमेंट्स भी कराह उठे। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और अपने पिता की सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन खेल भावना की दुहाई देने लगे और ‘अतिथि देवो भव’ की बात करने लगे, जबकि कुछ दिनों पहले यही स्टालिन ‘अतिथि देवो भव’ का सिद्धांत देने वाले सनातन धर्म पर जहर उगल रहे थे।

 

जैसे हमने ऊपर बताया कि, पाकिस्तानियों की पीड़ा तो तो समझ में आती है कि, उन्हें हार के बाद इस नारे से और अधिक दर्द हुआ होगा। किन्तु, भारत के एक राज्य में मंत्री उदयनिधि स्टालिन की तकलीफ समझ नहीं आई। वो सनातन विरोध करते हुए उसी सनातन के संस्कारों की दुहाई भी दे रहे हैं। DMK मंत्री स्टालिन ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि, 'भारत अपनी खेल भावना और आतिथ्य सत्कार के लिए जाना जाता है। हालाँकि, अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में पाकिस्तानी खिलाड़ियों के साथ किया गया व्यवहार एक नए निम्न स्तर पर पहुँच गया। खेल को देशों के बीच एकजुटता लाने वाली शक्ति बनाना चाहिए और भाईचारे को बढ़ावा देना चाहिए। इसे नफरत फैलाने के हथियार के रूप में इस्तेमाल करना बेहद गलत है।'

 

बता दें कि, ये 'जय श्री राम' के नारे कुछ फैंस ने पाकिस्तानी विकेटकीपर मोहम्मद रिज़वान को चिढ़ाने के लिए लगाए थे। अब रिज़वान से कुछ भारतीय क्यों चिढ़े हुए हैं, ये भी बता देते हैं। इसी वर्ल्ड कप में रिज़वान ने नीदरलैंड के खिलाफ मुकाबले में सर्वाधिक 68 रनों की पारी खेली थी, इस दौरान एक ड्रिंक्स ब्रेक में वे ग्राउंड पर ही नमाज़ पढ़ते नज़र आए थे। जिसे कुछ मुस्लिम खिलाड़ियों ने ही ड्रामा बताया था। कुछ भारतीयों ने तो ICC से इसपर एक्शन लेने की भी मांग की थी, क्योंकि ICC ने 2019 वर्ल्ड कप में हमारे कप्तान एम् एस धोनी से भारतीय सेना के प्रतिक चिन्ह वाले ग्लव्स उतरवा दिए थे। तो लोग हवाला दे रहे थे कि, अब ICC रिज़वान पर एक्शन क्यों नहीं लेता, जो मैदान पर ही नमाज़ पढ़ रहे हैं। खैर ICC ने कोई एक्शन नहीं लिया और अगला मैच आया।

अगले मैच में भी श्रीलंका के खिलाफ रिज़वान का बल्ला जमकर चला और उन्होंने 131 रनों की नाबाद और मैच जिताऊ पारी खेल दी। मैच जीतते ही रिज़वान ने एक ट्वीट करते हुए इस जीत को अपने 'गाज़ा' के भाई-बहनों को समर्थित कर दिया। अब ये गाज़ा वही है, जिसपर हमास का शासन है और गाज़ा में रहने वाले आतंकियों ने ही इजराइल पर हमला कर, वहां के लगभग 1300 लोगों को मार डाला है, 40 बच्चों को काटकर, जिन्दा जलाकर उनकी निर्मम हत्याएं की हैं, महिलाओं की नग्न परेड कराई है। इस ट्वीट को देखकर रिज़वान के प्रति भारतीयों का गुस्सा और बढ़ गया। ICC ने यहाँ भी मैच को राजनीति से जोड़ने और अप्रत्यक्ष रूप से आतंकियों का समर्थन करने के लिए रिज़वान पर कोई एक्शन नहीं लिया। भारत के खिलाफ मुकाबले में भी रिज़वान अच्छा खेल रहे थे, लेकिन 49 रन के स्कोर पर बुमराह ने उनकी गिल्लियां बिखेर दी और वे मायूस होकर पवेलियन की तरफ चल दिए। भारत के कुछ फैंस को अपना गुस्सा उतारने का मौका मिल चुका था, हालाँकि, किसी भारतीय ने पत्थर नहीं चलाए। याद दिला दें कि, पाकिस्तान में 1989 -90 दौरे पर भारत पाकिस्तान के बीच तीसरा ODI कराची में चल रहा था, पाकिस्तान के शुरूआती 3 विकेट महज 28 रन पर गिर गए थे, जिससे बौखलाई पाकिस्तानी भीड़ ने भारतीय टीम पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिए थे, अज़हरुद्दीन के तो कपड़े तक फट गए थे, 14 ओवरों में ही मैच रद्द कर दिया गया था। हालाँकि, भारतीय फैंस ने वैसा नहीं किया, बस रिज़वान के सामने 'जय श्री राम' के नारे लगा दिए, जो पाकिस्तानियों को भी बुरा लगा और स्टालिन को भी। 

वैसे स्टालिन से भी एक सवाल है कि, जब रिज़वान मैदान पर नमाज़ पढ़ रहे थे, जीत को आतंकियों को समर्पित कर रहे थे, तब क्या उदयनिधि कहीं गए हुए थे ? वरना वे रिज़वान को भी खेल भावना पर ज्ञान जरूर देते। वैसे एक बात ये भी है कि, यदि पाकिस्तानी टीम जीत जाती, या रिज़वान ही शतक ठोंक देते, तो वे फिर से इस जीत को या शतक को भारत को चिढ़ाने के लिए 'गाज़ा' के नाम नहीं करते या फिर ग्राउंड पर नमाज़ पढ़ने नहीं लग जाते ? क्या इसकी कोई गारंटी थी ? लेकिन अफ़सोस पाकिस्तान वैसा कर नहीं सका, या करने लायक नहीं बचा और उदयनिधि को दर्द हो गया। अगर रिज़वान वैसी हरकतें न करते, तो उन्हें भी इस तरह से मुंह नहीं लटकाना पड़ता। अफगानिस्तान के खिलाड़ी भी मुस्लिम हैं, वो भी पिछले मैच में भारत से हारे, लेकिन बिलकुल दोस्ताना माहौल रहा, अफगानी खिलाड़ियों को तो काफी सम्मान देते हैं भारतीय, सोचा है क्यों ? क्योंकि, वे ऐसी हरकतें नहीं करते। 

बता दें कि ये वही उदयनिधि स्टालिन हैं, जिन्होंने सनातन धर्म को डेंगू-मलेरिया कहकर उसके समूल नाश की वकालत की थी, उन्हें तो 'जय श्री राम' के नारे से दिक्कत होनी ही थी। काफी बवाल मचने के बाद भी वो अपने बयान पर कायम रहे। हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों, IAS- IPS अफसरों (262 गणमान्य भारतीय नागरिकों) ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर उदयनिधि के नफरती बयान के बारे में बताया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से भी अभी तक केवल एक नोटिस ही जारी हुआ है। बता दें कि, स्टालिन INDIA में कांग्रेस की सहयोगी पार्टी DMK के नेता है और तमिलनाडु के मौजूदा मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे, साथ ही वो खुद तमिलनाडु सरकार में युवा और खेल मंत्रालय संभालते हैं। पहले वे फिल्मों में भी काम कर चुके हैं, लेकिन अधिक सफल नहीं हो पाए, तो पिता के कैबिनेट में ही मंत्री बन गए। अब चूँकि उनकी पूरी राजनीति ही सनातन विरोध पर टिकी है, ऐसे में उन्हें 'जय श्री राम' के नारे से दिक्कत हो होगी ही। रही बात पाकिस्तानियों कि, तो उन्हें क्या ही कहें ?

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