रक्षा बंधन 2018: इतिहास के पन्नों से
रक्षा बंधन 2018: इतिहास के पन्नों से
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नई दिल्ली : वैसे तो रक्षा बंधन का इतिहास सिंधु घाटी की सभ्यता से जुड़ा हुआ है. लेकिन हम आपको इतिहास के कुछ ऐसे मत्वपूर्ण किस्से बताने जा रहे है, जिन्होंने  रक्षा बंधन के इस पर्व को नई परिभाषा दी थी.  रक्षा बंधन हर साल सावन पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस साल रक्षा बंधन 26 अगस्त 2018 को मनाया जाएगा. 

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रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूं
रक्षाबंधन मनाने की शुरुआत के सबसे पहले ऐतिहासिक साक्ष्य रानी कर्णावती व सम्राट हुमायूं के मिलते हैं. मध्यकालीन युग में राजपूत और मुस्लिमों के बीच संघर्ष चल रहा था. उस वक़्त  चित्तौड़ के राजा की विधवा रानी कर्णावती थीं. उस वक़्त गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी और अपनी प्रजा के ऊपर संकट गहराता देख रानी ने हुमायूं को राखी भेजी थी. तब हुमायूं ने उनकी रक्षा कर उन्हें अपनी बहन बनाया था.

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एलेग्जेंडर और पुरु
इतिहास में दूसरा प्रमाण एलेग्जेंडर और पुरु(पोरस) का मिलता है. माना जाता है कि एलेग्जेंडर भारतीय राजा पोरस की प्रचंडता देख काफी प्रचलित था. तब सिकंदर की जान की रक्षा के लिए चिंतित उसकी पत्नी ने रक्षाबंधन के दिन पुरु को राखी बांधने का निर्णय लिया. उन्होंने रक्षाबंधन के त्यौहार के बारे में सुना था. उसे विश्वास था कि रक्षाबन्धन के दिन वह पुरु को राखी बांधकर सिकंदर की रक्षा कर सकती है.

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