नई दिल्ली: औषधियों गुणों से भरपूर हींग की खेती अब भारत में ही होगी। भारत में विश्व में तैयार होने वाले हींग की 50 प्रतिशत खपत होती है। समुद्रतल से लगभग 11 हजार फीट की ऊंचाई पर लाहौल के अंतर्गत आने वाले क्वारिंग गांव में देश का पहला हींग का पौधा रोपित किया गया। अफगानिस्तान से लाए गए हींग के बीज का पालमपुर स्थित हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान की प्रयोगशाला में वैज्ञानिक तरीके से पौधा विकसित किया गया है।
संस्थान ने ट्रायल के रूप में हींग की पैदावार के लिए देश में सबसे पहले लाहौल-स्पीति जिले का चयन किया है। IHBT की यह पहल सफल हुई तो हींग से जनजातीय किसानों की आर्थिकी में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। ट्रायल के रूप में घाटी में फिलहाल सिर्फ 7 किसानों को हींग के पौधे प्रदान किए गए हैं। क्वारिंग में पूर्व जिप उपाध्यक्ष रिगजिन ह्यरपा के खेत में हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के डायरेक्टर डॉ. संजय कुमार ने हींग का पौधा लगाया।
उन्होंने कहा कि देश में अभी तक हींग की पैदावार नहीं की जाती है। अफगानिस्तान से हींग का बीज लाकर संस्थान ने इससे पौधा विकसित करने की तकनीक तैयार की है। देश में वार्षिक हींग की खपत लगभग 1200 टन है। भारत अफगानिस्तान से 90, उज्वेकिस्तान से 8 और ईरान से 2 फीसदी हींग का प्रतिवर्ष इम्पोर्ट करता है। संस्थान ने पालमपुर स्थित रिसर्च सेंटर में हींग के पौधों की 6 किस्में तैयार की है।
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