नहीं छिप पाएंगे अब घुसपैठी, 'कॉकरोच' ड्रोन से होग़ा दुश्मनों का सफाया
नहीं छिप पाएंगे अब घुसपैठी, 'कॉकरोच' ड्रोन से होग़ा दुश्मनों का सफाया
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कानपुर: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित 'कॉकरोच' ड्रोन दुश्मनों को हर हाल में खोज निकालेगा. यह आइआइटी कानपुर और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने कॉकरोच के आकार का इनसेक्ट कॉप्टर विकसित किया है, जो कि हमारी देश के सेना के काम आएगा. हथेली पर आ सकने वाला यह इंसेक्ट कॉप्टर (कीड़े के आकार का उड़नयंत्र) दुश्मनों को चकमा देने के साथ ही बारीक निगहबानी में माहिर है. वहीं, 40 ग्राम के इस ड्रोन के एडवांस वर्जन को महज 22 ग्राम का किया जा रहा है. शुरुआती प्रयोग के पश्चात् ही मार्च तक इसे बीईएल को टेस्टिंग के लिए दे दिया जाएगा. जून तक परीक्षण के पश्चात् सेना और अन्य पैरा मिलेट्री फोर्स को सौंपने की तैयारी की जा चुकी है. वहीं, आंतरिक और सीमाई सुरक्षा के अतिरिक्त इसका उपयोग रेलवे ट्रैक की मॉनिटरिंग, बिजली के तारों की देखरेख में, किसी भी रेस्क्यू ऑपरेशन में, बाढ़ और आगजनी के हालात अथवा पुल का निरीक्षण करने जैसे विभिन्न कामों में भी बहुत हो आसानी से निगाह रखेगा.

विशेषज्ञों ने कहा कि रात में भी निगहबानी करने में दक्ष इस उपकरण के उपयोग से सेना और पुलिस की ताकत बढ़ेगी. जहां इंसान की पहुंच में दिक्कत हो, वहां ये आसानी से निगरानी रख सकेंगे. इसकी खासियत यह हैं कि यह रात में भी ये प्रभावी होगा. आइआइटी कानपुर के प्रो. लक्ष्मीधर बेहेरा, डॉ. जंयत कुमार सिंह, संदीप गुप्ता, जे. कुमार और पद्मिनी सिंह इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. आपको जानकरी के लिए बता दें कि इनसेक्ट कॉप्टर जैसे उपकरणों का उपयोग अमेरिका, रूस, चीन जैसे देशों की सेना अमल में ला चुकी है. अमेरिका ने तो मच्छर जैसा इनसेक्ट कॉप्टर विकसित कर लिया है. वहीं, मक्खी और पतंगे जैसे इनसेक्ट कॉप्टर भी उपयोग किए जा रहे हैं. अब भारत ने इस ओर कदम बढ़ा दिए हैं.

सामान्य ड्रोन अधिक देर तक एक जगह नहीं रह सकता है परन्तु इंसेक्ट कॉप्टर की खासियत है कि यह दीवार पर काफी देर तक चिपका रहेगा. दीवार पर चिपकते ही इसकी मोटर बंद हो जाएगी, जिससे बैटरी बैकअप बढ़ जाएगा. यह लगभग दो घंटे तक वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कर सकेगा. इसमें एक साथ कई सॉफ्टवेयर इंस्टाल किए जा सकते हैं. यह किसी दीवार या सतह पर ठीक उसी तरह चल या चिपक सकता है,जिस तरह छिपकली दीवाल पर चलते है. इसमें छिपकली के पंजे की तरह की खूबी है, जिसे गीको तकनीक से तैयार किया गया है. कीड़ों की तरह आठ टांगें रहेंगी, जिससे पकड़ मजूबत होगी. वहीं, अपनी स्वार्न तकनीक के वजह ये इंसेक्ट कॉप्टर चेन बनाकर काम करेगा. किसी ऑपरेशन के लिए एक बार में पांच से छह इंसेक्ट कॉप्टर छोड़े जाएंगे. वहीं  खतरे का अंदेशा होने पर ये एक-दूसरे को सिग्नल भेंजेगा.

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