'चुनावी बांड एक 'प्रयोग' था और समय बताएगा कि यह कितना फायदेमंद रहा', बोले RSS नेता दत्तात्रेय होसबाले
'चुनावी बांड एक 'प्रयोग' था और समय बताएगा कि यह कितना फायदेमंद रहा', बोले RSS नेता दत्तात्रेय होसबाले
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मुंबई: RSS के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने रविवार को कहा कि चुनावी बांड एक 'प्रयोग' था तथा वक़्त बताएगा कि यह कितना फायदेमंद तथा प्रभावी रहा। RSS अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (ABPS) ने रविवार को 3 वर्षों के लिए 'सरकार्यवाह' (महासचिव) पद के लिए दत्तात्रेय होसबाले को फिर से चुना। चुनाव आयोग ने बृहस्पतिवार को चुनावी बांड का डेटा सार्वजनिक किया, जिसके खरीदारों में कई अरबपति बिजनेस टाइकून सहित कम नामी संस्थाएं सम्मिलित हैं। SBI द्वारा ECI को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, स्टील टाइकून लक्ष्मी मित्तल से लेकर अरबपति सुनील भारती मित्तल की एयरटेल, अनिल अग्रवाल की वेदांता, आईटीसी, महिंद्रा एंड महिंद्रा एवं कम प्रसिद्ध फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज जैसी कंपनियां चुनावी बांड के प्रमुख खरीदारों में सम्मिलित थे। चुनावी बांड के मुद्दे पर उठाई जा रही चिंताओं और दावों के बारे में पूछे जाने पर होसबाले ने बोला कि संघ ने अभी तक इस बारे में चर्चा नहीं की है क्योंकि यह एक 'प्रयोग' था।

उन्होंने कहा, 'यह जांच-परख एवं विचार-विमर्श के साथ लाया गया और ऐसा नहीं है कि चुनावी बांड आज अचानक पेश किया गया है, यह (ऐसी योजना) पहले भी लाई गई थी। जब भी कोई परिवर्तन पेश किया जाता है, तो सवाल उठाए जाते है। सवाल तब भी उठाए गए थे जब EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें) पेश की गई। यह स्वाभाविक है कि जब नई चीजें सामने आएंगी तो लोगों द्वारा सवाल उठाए जाएंगे। मगर वक़्त बताएगा कि नई प्रणाली कितनी फायदेमंद एवं प्रभावी रही। इसलिए, संघ को लगता है कि इसे इस्तेमाल के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए'। नरेंद्र मोदी सरकार के 10 वर्षों के शासन के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि RSS समान नागरिक संहिता का स्वागत करता है। उन्होंने कहा कि इसे लागू करने की मांग करने वाला एक प्रस्ताव कई वर्ष पहले संगठन की 'अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा' ​​में पारित किया गया था। दत्तात्रेय होसबाले ने कहा, 'इसे (भाजपा शासित) उत्तराखंड में लागू किया गया है। हम चाहेंगे कि इसे पूरे देश में लागू किया जाये। किन्तु उत्तराधिकार, एडॉप्शन, विवाह एवं अन्य मुद्दों जैसे कुछ विवरण हैं जिन पर चर्चा की जरुरत है तथा फिर आगे बढ़ सकते हैं'।

उन्होंने कहा, 'लोगों ने देखा है कि देश ने बीते 10 सालों में कितनी प्रगति की है तथा यहां तक ​​कि प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों एवं राजनीतिक विचारकों ने भी दोहराया है कि वर्तमान सदी भारत की सदी है। कुछ अच्छा ही हो रहा होगा, तभी उन्हें ऐसा लगता है। वैसे भी, जनता अपना फैसला 4 जून (लोकसभा चुनाव मतगणना दिवस) को सुनाएगी'। इस सवाल पर कि क्या नागरिकता संशोधन अधिनियम में आखिरी दिनांक को मौजूदा 31 दिसंबर 2014 से बढ़ाया जाना चाहिए, RSS नेता ने कहा कि जरूरत पड़ने पर सक्षम अथॉरिटी द्वारा ऐसा किया जा सकता है। मथुरा एवं काशी में पूजा स्थलों से संबंधित विवादों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हिंदू संतों एवं विश्व हिंदू परिषद ने इस मुद्दे को उठाया है तथा यह भी कहा है कि आंदोलन का प्रकार समस्या पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा, 'राम जन्मभूमि आंदोलन के लिए जो किया गया वह हर चीज के लिए नहीं किया जाना चाहिए। यह आवश्यक नहीं है। मामला अदालत में है। यदि कोर्ट इसका समाधान कर देती है तो आंदोलन की कोई आवश्यकता नहीं है। काशी एवं मथुरा के सिलसिले में हिंदू समाज धार्मिक-सामाजिक नेतृत्व के मार्गदर्शन में जो कुछ भी करना होगा वह करेगा'।

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