नई दिल्ली: ग्लोबल मार्केट में क्रूड ऑयल की मूल्यों में नरमी को देखते हुए सेंट्रल गवर्नमेंट ने तीन सप्ताह पहले निर्यात पर लगाए भारी-भरकम टैक्स को वापस ले चुके है। सरकार ने डीजल और हवाई ईंधन पर लगाए टैक्स में भी कटौती काररफ दी है, जबकि पेट्रोल पर लगे पूरे टैक्स को ही समाप्त कर दिया गया है। दरअसल, यह टैक्स ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल की बेतहाशा बढ़ते मूल्यों की वजह से घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल के खुदरा मूल्य को बढ़ने से रोकने के लिए भी आरोप लगा दिया है। जिसका मकसद था कि कंपनियां यहां रिफाइन किए गए ईंधन को निर्यात करने के बजाए घरेलू मार्किट में ही खपत कराएं, ताकि आपूर्ति बेहतर हो और कीमतों पर दबाव कम किया जा सके। हालांकि, यह अतिरिक्त टैक्स लागू होने के उपरांत से ही तेल कंपनियां इसका विरोध कर रहीं थी।
गवर्नमेंट की ओर से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक डीजल और हवाई ईंधन पर लगाए गए 13 रुपये प्रति लीटर के अतिरिक्त टैक्स में से 2 रुपये की कटौती भी की जा चुकी है। यानी अब कंपनियों को डीजल और हवाई ईंधन के निर्यात के लिए 11 रुपये का अतिरिक्त टैक्स चुकाना पड़ सकता है। वहीं, पेट्रोल के निर्यात पर लगे 6 रुपये प्रति लीटर के टैक्स को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है।
घरेलू क्रूड उत्पाद पर टैक्स में बड़ी कटौती: इंडिया में उत्पादन किए गए कच्चे तेल के निर्यात पर भी सरकार ने भारी-भरकम टैक्स भी लगाने का आदेश दे दिया था, जिसमें अब बड़ी कटौती कर दी गई है। सरकार ने घरेलू क्रूड के निर्यात पर टैक्स को 27 प्रतिशत घटाकर 17 हजार रुपये प्रति टन भी किया जा चुका है। यह टैक्स घरेलू क्रूड को निर्यात से रोके जाने के लिए लगाया गया था, ताकि भारतीय बाजार में ईंधन की आपूर्ति को बेहतर किया जा सके, जब ग्लोबल मार्केट में इसके दाम तेजी से बढ़ते हु दिखाई दे रहे है ।
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