कामिनी राय: अपने लेखन से बंगाल में जगाया अलख
कामिनी राय: अपने लेखन से बंगाल में जगाया अलख
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कोलकाता। कामिनी राय को बंगाल में साहित्य जगत में बेहद लोकप्रिय स्थान प्राप्त है। उनका जन्म 12 अक्टूबर 1864 में बंगाल के बाकेरगंज जिले में हुआ था। उस काल में यह बंगाल प्रेसिडेंसी में आता है। उन्होंने वर्ष 1883 में बेथुने में स्कूल में दाखिला प्राप्त किया था। वे ऐसी पहली लड़की थीं जिसने ब्रिटिश भारत में स्कूल में दाखिला लिया था। कामिनी बंगाली परिवार से थीं।

उनके पिता का नाम चंडी चरण सेना था। वे एक लेखक थे और, ब्रह्म समाज के प्रमुख सदस्यों में से एक थे। उन्होंने संस्कृत आनर्स में स्नातक किया पाठ्यक्रम किया था। वे एक लोकप्रिय बंगाली कवयित्री थीं। उनका विवाह केदारनाथ राॅय से हुआ था।

उनका प्रथम साहित्य संग्रह वर्ष 1889 में प्रकाशित हुआ था। उन्होंने दो पुस्तकों से अधिक पुस्तकों की रचना की थी। वर्ष 1921 में वे कुमुदिनी मित्रा की तरह एक लीडर बन गई थीं। उन्हें महिला श्रमिक इन्वेस्टिेगेशन का सदस्य बनाया गया था। वर्ष 1930 में उन्हें बंगाली लिटरेसी कान्फ्रेंस का अध्यक्ष यक्ष बनाया गया।

वे वर्ष 1932 और 1933 में बंगाली साहित्य परिषद की उपाध्यक्ष बनाई गईं। उनके साहित्य ने लोगों का जागरण किया। उनका साहित्य बेहद मनोरंजक भी था। उनकी रचनाओं में महाश्वेता, पुंडोरिक, द्विपो धूप आदि प्रमुख थीं। 27 सितंबर वर्ष 1933 में  बिहार व उड़ीसा  प्रोविन्स के हजारीबाग में उन्होंने अंतिम सांस ली। 

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