1951 : संसद में इस मसौदे की वजह से डॉ अंबेडकर ने दिया था इस्तीफा
1951 : संसद में इस मसौदे की वजह से डॉ अंबेडकर ने दिया था इस्तीफा
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बाबा साहेब के नाम से मशहूर अंबेडकर अपना पूरा जीवन सामाजिक बुराइयों जैसे छुआछूत और जातिवाद के खिलाफ संघर्ष में लगा दिया. इस दौरान बाबा साहेब गरीब, दलितों और शोषितों के अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहे. आइए जानते है उनके जीवन से जुड़ी खास बाते.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अछूत समझी जाने वाली जाति में जन्म लेने के कारण अपने स्कूली जीवन में आम्बेडकर को अनेक अपमानजनक स्थितियों का सामना करना पड़ा. इन सब स्थितियों का धैर्य और वीरता से सामना करते हुए उन्होंने स्कूली शिक्षा समाप्त की. फिर कॉलेज की पढ़ाई शुरू हुई. इस बीच पिता का हाथ तंग हुआ. खर्चे की कमी हुई. तो उनका एक मित्र उन्हें बड़ौदा के शासक गायकवाड़ के यहाँ ले गए. गायकवाड़ ने उनके लिए स्कॉलरशिप की व्यवस्था कर दी और आम्बेडकर ने अपनी कॉलेज की शिक्षा पूरी की. 

अगर बात करें आजादी के बाद की तो 1951 में संसद में अपने हिन्दू कोड बिल मसौदे को रोके जाने के बाद अंबेडकर ने मंत्रीमंडल से इस्तीफा दे दिया. इस मसौदे में उत्तराधिकार, विवाह और अर्थव्यवस्था के कानूनों में लैंगिक समानता की बात कही गई थी.

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