द्रौपदी मुर्मू: शिक्षिका से लेकर देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक, देखें गर्वित आदिवासी महिला का बेहद प्रेरणादायी सफर
द्रौपदी मुर्मू: शिक्षिका से लेकर देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक, देखें गर्वित आदिवासी महिला का बेहद प्रेरणादायी सफर
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नई दिल्ली: आज यानी 20 जून को देश की प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपना 65वां जन्मदिन मना रहीं हैं। लेकिन, बहुत कम लोग जानते हैं कि, उनका करियर एक शिक्षिका के रूप में शुरू हुआ था। मुर्मू ने 1994 से 1997 के बीच रायरंगपुर के श्री अरबिंदो इंटेग्रेटेल एजुकेशन एंड रिसर्च में एक शिक्षिका के तौर पर काम किया। 1997 में उन्होंने अधिसूचित क्षेत्र परिषद में एक निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। एक शिक्षिका के रूप में उन्होंने प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को विभिन्न विषय पढ़ाए थे। 

महामहिम मुर्मू का जन्म मयूरभंज जिले के अंतर्गत आने वाले बैदापोसी गांव में हुआ था। मुर्मू आदिवासी संथाल परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनकी शिक्षा कुसुमी तहसील के छोटे से गांव उपरबेड़ा में स्थित एक छोटे से स्कूल में हुई हैं। भुवनेश्वर के रामादेवी महिला महाविद्यालय से उन्होंने स्नातक की डिग्री प्राप्त की है। द्रौपदी मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू के साथ हुआ था। दंपति को दो बेटे और एक बेटी हुई, मगर विवाह के कुछ समय बाद ही उन्होंने पति और अपने दोनों बेटों को खो दिया। द्रौपदी मुर्म के पति और 2 बेटों का देहांत होने के बाद उन्होंने अपने घर को एक बोर्डिंग स्कूल में तब्दील कर दिया। जहां आज भी स्कूल संचालित होता है।

मुर्मू ने एक टीचर के रूप में अपने करियर का आगाज़ किया और फिर उन्होंने ओडिशा के सिंचाई विभाग में एक कनिष्ठ सहायक यानी क्लर्क के पद पर भी नौकरी की। मुर्मू ने नौकरी से मिलने वाले वेतन से घर का भार उठाया और बेटी इति मुर्मू को पढ़ाया-लिखाया। बेटी ने भी कॉलेज की पढ़ाई के बाद एक बैंक में नौकरी शुरू की। इति मुर्मू इन दिनों रांची में रहती हैं और उनका विवाह झारखंड के गणेश से हो चुकी है। दोनों की एक बेटी आद्याश्री है। 

द्रौपदी मुर्मू ने वर्ष 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में जीत हासिल कर अपने सियासी जीवन का आगाज किया था। उन्होंने भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के पद पर भी कार्य किया। साथ ही वह भाजपा की आदिवासी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मेंबर भी रहीं। द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के मयूरभंज जिले की रायरंगपुर सीट से 2000 और 2009 में भाजपा के चुनाव चिन्ह पर दो बार विधायक भी निर्वाचित हुईं। ओडिशा में नवीन पटनायक के बीजू जनता दल (BJD) और भाजपा गठबंधन की सरकार में द्रौपदी मुर्मू को 2000 और 2004 के बीच वाणिज्य, परिवहन और बाद में मत्स्य और पशु संसाधन विभाग में मंत्री नियुक्त किया गया।  मुर्मू ने 2014 का विधानसभा चुनाव रायरंगपुर से लड़ा था, मगर वह BJD प्रत्याशी से हार गई थी। 

मई 2015 में मुर्मू ने झारखंड की 9वीं राज्यपाल के रूप में शपथ ली थीं। उन्होंने सैयद अहमद की जगह ली थी। झारखंड उच्च न्यायालय के तत्कालीन चीफ जस्टिस वीरेंद्र सिंह ने द्रौपदी मुर्मू को राज्यपाल पर की शपथ ग्रहण करवाई थी। झारखंड की प्रथम महिला गवर्नर बनने की उपलब्धि भी भी द्रौपदी मुर्मू के नाम दर्ज है। साथ ही वह किसी भी भारतीय राज्य की गवर्नर बनने वाली प्रथम आदिवासी हैं। वह झारखंड में सबसे लंबे वक्त (छह वर्षों से अधिक) तक राज्यपाल रहीं। झारखंड के गवर्नर के रूप में अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद मुर्मू अपने पैतृक घर रायरंगपुर लौट गई थीं और सामाजिक कार्यों में लग गईं थी। जिसके बाद 21 जून 2022 को केंद्र सरकार ने मुर्मू को अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने की घोषणा कर दी और देश की गर्वित आदिवासी महिला देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन हुईं। 

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