आखिर क्यों महाकाल लोक में बार-बार बदली जा रहीं है सप्तऋषि की मूर्तियां?
आखिर क्यों महाकाल लोक में बार-बार बदली जा रहीं है सप्तऋषि की मूर्तियां?
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उज्जैन: मध्य प्रदेश के उज्जैन में पीएम नरेंद्र मोदी ने 11 अक्टूबर 2022 को महाकाल लोक का लोकार्पण किया था। स्वर्ग से भी सुंदर माने जाने वाले इस लोक की भव्यता आरभिंक दौर में तो बहुत शानदार थी किन्तु 1 वर्ष पहले आए आंधी तूफान ने इस लोक में लगाई गई प्रतिमाओं की क्वालिटी पर सवालिया निशान खड़े कर दिए थे। ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि तेज आंधी तूफान के चलते महाकाल लोक में लगाई गई सप्तऋषि की सात मूर्तियों में से 6 प्रतिमाएं क्षतिग्रस्त हो गई थीं। इसे तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर तत्काल हटाया गया था तथा इसकी जगह फाइबर रिइंफोर्स प्लास्टिक (एफआरपी) की सप्तऋषि की नई मूर्तियां महाकाल लोक में लगाई गई थीं। किन्तु अब वर्तमान मोहन सरकार एफआरपी की बनी इन मूर्तियों को हटाकर यहां बंशी पहाड़पुर के लाल पत्थरों से बनी सप्तऋषि की प्रतिमाएं स्थापित करना चाहती है जिनके निर्माण का काम भी आरम्भ हो चुका है।

महाकाल लोक में दर्शन करने के लिए आने वाले भक्तों को अब जल्द ही भगवान महादेव के साथ ही सप्तऋषियों की लाल पत्थर की प्रतिमा दिखाई देगी जो कि पहले की मूर्तियों से कुछ अलग तो होगी ही इसके साथ ही हर एक प्रतिमा सप्तऋषियों के ग्रन्थों एवं पौराणिक आधार पर अलग-अलग स्वरूपों में नजर आएगी। महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ के निदेशक श्री राम तिवारी ने कहा कि इन प्रतिमाओं का निर्माण हमारे द्वारा ही करवाया जा रहा है। बंशी पहाड़पुर के लाल पत्थरों से इन मूर्तियों का निर्माण हरिफाटक के हाट बाजार में किया जा रहा है। जिन्हें उड़ीसा के कोणार्क से आए कलाकारों के द्वारा बनाया जा रहा है।

यह सप्तऋषि की प्रतिमाएं अयोध्या में प्रभु श्री राम की प्रतिमा का स्क्रैच बनाने वाले सुनील विश्वकर्मा के द्वारा तैयार किए गए स्क्रैच के आधार पर बनाई जा रही है। हर एक मूर्ति 15 फीट ऊंची 10 फीट चौड़ी एवं 4।5 फिट मोटी रहेगी। क्योंकि हर एक मूर्ति एक ही पत्थर से बनाई जा रही है इसीलिए इस प्रतिमा को बनाने के लिए तकरीबन 8 से 10 कलाकार हर दिन काम कर रहे हैं, जिन्हें सभी प्रतिमाएं बनाने के लिए तकरीबन 6 महीने का समय लगेगा। इन मूर्तियों की एक विशेषता यह भी है कि मूर्तियों के लिए की जाने वाली नक्काशी किसी मशीन से नहीं बल्कि छेनी तथा हथौड़ी के द्वारा की जाएगी। अभी उड़ीसा से आए कलाकार इन प्रतिमाओं को तराशने का काम कर रहे हैं किन्तु जब मूर्तियां तैयार हो जाएगी तो इसकी नक्काशी के लिए कोणार्क से और भी कलाकार आएंगे और इन मूर्तियों को फाइनल टच देंगे।

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