पहले भी तालिबान के डर काबुल आए थे अफगान के लोग, लेकिन फिर भी नहीं बचा पाए अपनी जान
पहले भी तालिबान के डर काबुल आए थे अफगान के लोग, लेकिन फिर भी नहीं बचा पाए अपनी जान
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तालिबान से बचकर लाखों लोग अफगान के हर कोने  से राजधानी काबुल पहुंचे थे लेकिन अब काबुल पर तालिबान के कब्जे से उनकी जिंदगी बुरी तरह से बर्बाद हो गई है। ये लोग अपने ही देश में विस्थापित हो चुके है। दिप्रिंट की एक रिपोर्ट बताती है कि एरियाना नाम की एक महिला अपनी तीन बेटियों के साथ अगस्त के शुरुआत में काबुल पहुंची थी। घर से तकरीबन 300 किलोमीटर दूर वह सुरक्षा की तलाश में पहुंची थी लेकिन अब वह पछता रही हैं। उनका बोलना है कि हमने काबुल आकर शायद गलती न कर बैठे।

जहां इस बात का पता चला है कि तालिबान के पुराने दौर को लेकर महिलाएं बहुत चिंतित हैं। ये वो समय था जब महिलाएं परिवार के किसी पुरुष मेंबर के बिना घर से बाहर नहीं जा पाएंगी। पढ़ाई और नौकरी की बात तो छोड़ ही दीजिए। यूनाइटेड नेशंस हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजी (UNHCR) की एक रिपोर्ट कहा है कि जनवरी और जुलाई 2021 के आंधी 2.7 लाख अफगान नागरिक अपने ही देश में विस्थापित हो चुके है। असुरक्षा, हिंसा आदि के कारणों से अफगानिस्तान में 35 लाख से अधिक अफगान नागरिक विस्थापित हैं।

सूत्रों से मिली जानकारी में सामने आया है कि काबुल का खैरखाना मैदान टेंटों से भरा हुआ है। ये लोग तखर, कुंदुज, कंधार और समंगन प्रदेशों से यहां पहुंचे हैं। यहां रह रहे लोगों का बोला है कि यह सब जनवरी 2021 में शुरू हुआ जब यह साफ हो गया कि अमेरिका की सैनिक अफगानिस्तान छोड़ देंगे और समझौते के तहत तालिबान सत्ता में आने वाला है।

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