शेखर सुमन ने कोरोना को लेकर कही यह बात
शेखर सुमन ने कोरोना को लेकर कही यह बात
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जिस तरह हम किसी बैंक से लोन लेते हैं तो हमें उसे चुकाना पड़ता है, ठीक उसी तरह हमने भी जो अब तक प्राकृतिक और अप्राकृतिक तरीके से नेचर से एक्स्ट्रा लिया है उसे भी तो चुकाना पड़ेगा. जिस तरह बैंक से लोन लेने के बाद अगर हम उसे चूका नहीं पाते तो हम डिफॉल्टर हो जाते हैं, हमारे ऊपर केस हो जाता है.वहीं उसी तरह नेचर ने भी हमे हमारे घरों में कैद कर दिया है. वहीं एक मिडिया रिपोर्टर से बातचीत में एक्टर शेखर सुमन ने कोरोना वायरस के कारण इंसानों को हो रहे नुकसान पर अपने विचार साझा किए.शेखर सुमन ने कहा- 'हमें अब धीरे-धीरे कोरोना के साथ जीना सीखना चाहिए तभी हम आगे बढ़ पाएंगे, नहीं तो हम बहुत पीछे चले जायेंगे.' इसके साथ ही शेखर ने कहा क‍ि जब तक हम इस बीमारी को सहेंगे नहीं तब तक हम इसके साथ रहेंगे नहीं. सैनिक को मालूम होता है क‍ि उसे लड़ाई में गोली लगेगी परन्तु फिर भी वह लड़ता है. दवाई में भी विष का इस्तेमाल होता है, तो उसी तरह कोरोना हमें एक सबक सीखा गया, इससे पहले तो हम ओजोन लेयर खराब कर रहे थे, प्लास्टिक फेंक रहे थे, केमिकल फैक्ट्री लगा रहे थे, समंदर गन्दा कर रहे थे, ये सब उसका ही परिणाम है.उन्होंने आगे कहा- 'कोरोना से जानें तो गई, कोरोना ने हमें डराया तो जीना भी सिखाया है. 

इसके अलावा अब देखिये हमें हाइजीन में रहने की आदत पड़ गई है, पहले किसी का इस पर ध्यान ही नहीं जाता था.वहीं  जब तक रावण नहीं होगा राम के पराक्रम को कौन समझेगा. तो जहां कोरोना का इतना खौफ है मेरा मानना है क‍ि अब हमें बाकी बीमारियों की तरह इसके साथ भी जीना सीख लेना चाहिए. इसके अलावा लॉकडाउन से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, खामखा इसे हव्वा न बनायें'शेखर सुमन ने बॉलीवुड पर कोरोना के असर पर भी बात की. वहीं उनका कहना है- 'मनोरंजन के माध्यमों को नए पायदान पर लाने के लिए डायरेक्टर्स और प्रोड्यूसर्स के पास ये बहुत अच्छा समय है. हमारे पास हिंदी फिल्मों का इतिहास पड़ा है जो आज की जेनरेशन नहीं जानती. डिजिटल दुनिया का अब खिलने का वक्त आ गया है. हम सब फिल्में, सीरियल्स और वेब सीरीज नेट के माध्यम से ही देखेंगे, जो इस लॉकडाउन में हम आदत डालने भी लगे हैं. वहीं हमें वील ऑफ इकोनॉमी को लगातार चलाने के लिए काम तो करना ही पड़ेगा. वहीं मैं खुद भी अब कई वेब सीरीज की स्क्रिप्ट्स पर काम कर रहा हूं. आने वाले टाइम में हम अभिनेताओं के लिए काम करने के नए प्लेटफार्म पर चढ़ने का ये सही वक्त है.'उन्होंने शूट‍िंग्स रिज्यूम होने को लेकर भी अपने विचार साझा किए. 

आपकी जानकारी के लिए बता दें की शेखर ने कहा- 'बहुत अच्छी बात है क‍ि सरकार ने इस पर विचार किया और शूटिंग फिर से शुरू करवाए. पीएम मोदी की अपील आत्मनिर्भर होने में कोई बुराई नहीं है. इसके अलावा फिल्में हो या वेब सीरीज हमें अपने यहां ही बनानी और प्रमोट करनी चाहिए. वहीं बाहर की कोई भी एप्लीकेशन हमें नहीं इस्तेमाल करनी चाहिए चाहे वो टिक टॉक हो या अमेजन-नेटफ्लिक्स. वहीं ये वक्त इंडस्ट्री के लिए सोचने का है की कैसे आपने ही मैदान में खेला जाये और घर के पैसे घर में ही रहे. हमें विदेशी सामानों का बह‍िष्कार कर देना चाहिए. वहीं मुझे सिर्फ डेली वेजर्स वालों की चिंता है क‍ि क्या इस महामारी में उनके साथ इन्साफ हो पायेगा. वहीं हमें पहले से सजग और प्रकृति के प्रति सतर्क और ईमानदार रहना होगा. वहीं 'ऐसी बीमारी या महामारी पहली बार नहीं आई है. इससे पहले भी सैकड़ों बीमारी और महामारी आईं जिसके के बाद भी आज हम जिंदा हैं. वहीं इसे हव्वा न बनाये, बहार जाएं बहार जाना ही पड़ेगा, काम करना ही पड़ेगा तभी ये जीवन चलेगा. हमें इस बीमारी से साथ मिलकर डटकर लड़ना होगा. प्रकति ने हमें दंड‍ित किया है और हमें अब इसका पश्ताचाप करना है.

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