मोदी-योगी को ही क्यों राम मंदिर का श्रेय? सवाल पर बोले रामलला के मुख्य पुजारी-  'अदालतें तो 1949 से थीं लेकिन...'
मोदी-योगी को ही क्यों राम मंदिर का श्रेय? सवाल पर बोले रामलला के मुख्य पुजारी- 'अदालतें तो 1949 से थीं लेकिन...'
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लखनऊ: अयोध्या के नवनिर्मित भव्य मंदिर में 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। उससे पहले मीडिया से चर्चा करते हुए प्रभु राम के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़ी अपनी यादों को साझा किया। सत्येंद्र दास ने कहा कि इस घड़ी का सालों से इंतजार था। प्राण प्रतिष्ठा का दृश्य अपने आप में अद्भुत और विलक्षण होगा। जिस दिन प्राण प्रतिष्ठा होगी तथा रामलला अपने भव्य और दिव्य मंदिर में विराजेंगे वह एक युग के समान है। ऐसा लगता है कि जितनी चुनौतियां और परेशानियां रहीं वे सब समाप्त हुईं, अब युग बदल गया, अब राम का युग आया है। 

राम मंदिर का श्रेय किसे जाता है? इस पर रामलला के मुख्य पुजारी ने कहा, 'अदालतें आज से नहीं हैं, 1949 के पहले से हैं। इतने सालों में राम मंदिर को लेकर फैसला क्यों नहीं आया? कांग्रेस की सरकार रही, तथा सरकारें आईं तब यह क्यों नहीं हुआ? भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई तो राम मंदिर की सुनवाई टालने का षड्यंत्र किसका था? मैं कहूंगा कि जिनकी राम में आस्था है, जिन पर भगवान की कृपा है वे सत्ता में हैं और जो मन व कर्म से विरोधी थे वे बाहर हैं। देश और उत्तर प्रदेश में कई पार्टियों की सत्ता आई, मगर किसी सरकार की दृष्ठि अयोध्या पर नहीं आई। भारतीय जनता पार्टी जबसे सरकार में आई, खास तौर पर पीएम मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ की अयोध्या पर दृष्टि बनी हुई है। उनकी वजह से आज अयोध्या बहुत तेजी से विकसित हो रही है।'

प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ क्या होता है? इस बारे में आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा, 'किसी निर्जीव को सजीव बना देना प्राण प्रतिष्ठा है। वह प्रतिमा तब तक निर्जीव है, जब तक शास्त्रों में वर्णित मंत्रों को अभिमंत्रित करके उसकी प्राण प्रतिष्ठा नहीं की जाती'। प्राण प्रतिष्ठा के लिए 86 सेकंड के मुहूर्त के बारे में महंत सत्येंद्र दास ने कहा, 'इतने ही वक़्त में उन मंत्रों का उच्चारण हो जाता है, जिनके जाप की आवश्यकता प्राण प्रतिष्ठा के लिए होती है। इसीलिए 86 सेकंड का शुभ मुहूर्त रखा गया है। यह पूजा सिर्फ 22 जनवरी की नहीं है, बल्कि उसके पहले ही शुरू हो जाएगी। लगभग सप्ताहभर के अनुष्ठान में कई देवी-देवताओं का आह्वान किया जाएगा'।

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