तीन तलाक पर कानून बनने से पहले ही निकाल ली गई है काट
तीन तलाक पर कानून बनने से पहले ही निकाल ली गई है काट
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तीन तलाक पर भले ही सुप्रीम कोर्ट ने पाबंदी लगा दी हो. वहीँ आज इस मामले पर सरकार संसद में बिल लेकर आ रही है, तो क्या ट्रिपल तलाक पर कानून बन जाने के बाद मुस्लिम महिलाएं सुरक्षित हो जाएंगी. जी नहीं, कानून बनने से पहले ही तमाम मौलानाओं और मुफ्तियों ने ट्रिपल तलाक की नई काट तलाश ली है.

ट्रिपल तलाक पर मौलानाओं और मुफ्तियों ने जुगाड़ निकाला है उस जुगाड़ का पता लगाने के लिए कई मौलानाओं और मुफ्तियों ने से बात की गई . जब इस मामले को लेकर गाजियाबाद में लोनी के सबसे बड़े मदरसे ज़ीनत उल इस्लाम के मुफ़्ती सादिक से बात की, तो मुफ़्ती सादिक ने जवाब दिया कि वो तीन तलाक न देकर एक-दो तलाक से पत्नी को छोड़ दे. ये कैसे हो सकता है तो उन्होंने कहा तलाक-ए-बाइन से.

मुफ़्ती सादिक ने तलाक ए बाइन कुछ यूं समझाया 'तीन तलाक एक तो तरीका ये है कि एक साथ देना. वो तो बैन लग गया उस पर तलाक-ए-बिद्दत बोलते हैं उसको. तो अब बस एक तलाक और दो तलाक हैं. अगर आप एक तलाक से अपनी बीवी को निकाह से बाहर करते हैं, या दो तलाक के ज़रिये बाहर करते हैं तो उसमें एक सूरत ये होती है कि अगर कभी ऐसी नौबत आए कि दोबारा मिलन की या साथ की ज़रूरत पड़ जाए तो वो आसानी से निकाह में आ जाएगी. हलाला की कोई ज़रूरत नहीं पड़ेगी'.

साफ है कि मौलानाओं के मुताबिक तलाक-ए-बाइन के जरिए भी तलाक दिया जा सकता है. तलाक-बाइन में तीन तलाक बोलने की जरूरत नहीं है. इसमें दो बार तलाक बोलने से तलाक हो जाता है. बिद्दत से तलाक देने के बाद अगर पत्नी को दोबारा जिंदगी में लाना हो तो हलाला की रस्म निभानी पड़ती है जबकि मौलानाओं के मुताबिक तलाक-ए-बाइन के बाद अगर बीवी को वापस जिंदगी में लाना है तो किसी हलाला की जरूरत नहीं है. रिपोर्टर के ये पूछने पर कि उसमें कोई सुप्रीम कोर्ट से दिक्कत तो नहीं होगी? मुफ़्ती सादिक ने जवाब दिया कि कोई दिक्कत नहीं है. ये तो परमिशन है.

तीन तलाक की जगह दो तलाक के जरिए बीवी से छुटकारे का नुस्खा बताने वाले मुफ्ती सादिक का दावा है कि तलाक-ए-बाइन के लिए जरूरी नहीं है कि तलाक देने वाले की बीवी उसके सामने ही हो. मतलब ये कि तलाक-ए-बाइन वो फार्मूला है, जिसमें कोई भी आदमी कहीं भी और किसी भी वक़्त अपनी बीवी को तलाक दे सकता है, चाहे वो तलाक बीवी सुने या न सुने. बस उस तक खबर पहुंच जानी चाहिए कि उसे तलाक के बाइन मिला है.

मुफ़्ती सादिक ने ये भी कहा कि भले ही सुप्रीम कोर्ट ने बैन कर दिया है लेकिन अगर तीन तलाक बोल दिया जाता है तो वो तलाक माना जाएगा. शरीयत का इसका हुक्म है. मुसलमान को मानना पड़ेगा ये आज भी.

साफ है कि कोर्ट चाहे कितनी भी सक्रियता दिखाए या सरकार भले ही तीन तलाक को संसद में कानून बनाकर जुर्म घोषित कर दे, मौलाना इसकी काट के लिए तैयार बैठे हैं यानी मुस्लिम महिलाओं को सही मायने में राहत मिलने में अभी काफी वक्त लगेगा.

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