शिमला: एकाएक पूरी दुनिया में बढ़ता ही जा रहा कोरोना का कहर थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. हर दिन इस वायरस की चपेट में आने से हजारों लोग अपनी जान गवा देतें है. वहीं अब तक इस वायरस की चपेट में आने से लाखों लोग संक्रमित भी पाए गए है. वहीं अब भी यह नहीं कहा जा सकता है कि आखिर इस बला से कब तक छुटकारा मिल सकता है. वहीं हाल ही में इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आईजीएमसी) में दाखिल तीनों जमातियों में शुरुआत में कोरोना के लक्षण नहीं मिले हैं. बावजूद इसके इनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. आईजीएमसी प्रबंधन ने यह खुलासा रविवार को किया है. प्रबंधन पांच दिन बाद कोरोना पॉजिटिव मरीजों के दोबारा सैंपल लेगा. अगर इनकी रिपोर्ट निगेटिव आती है तो उन्हें वापस भेजा जाएगा. आईजीएमसी के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. जनक राज ने इसकी पुष्टि की है.
मिली जानकारी के अनुसार अस्पताल के आईसोलेशन वार्ड में मौजूदा समय में तीन जमाती मरीज दाखिल किए गए हैं. इनमें दो सत्रह-सत्रह साल के दो नाबालिग और 55 साल का व्यक्ति है. ई-ब्लॉक स्थित आईसोलेशन वार्ड में इन्हें दाखिल किया गया है. प्रारंभिक जांच में पता चला है कि तीनों गाजियाबाद के रहने वाले हैं. दिल्ली के निजामुद्दीन में तब्लीगी जमात के मरकज में शामिल हुए थे.
जंहा इस बात का पता चला है कि अत्यधिक भीड़ होने के कारण ये वहां से 18 मार्च को लौट आए. इसके बाद इन्हें नालागढ़ में पकड़ा गया और क्वारंटीन किया गया. जब सैंपल जांच के लिए आईजीएमसी भेजे तो देर रात इनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जो लोग कुछ समय पहले विदेशों से हिमाचल लौटे हैं, सरकार को ऐसे लोगों की स्क्रीनिंग करवानी चाहिए. आईजीएमसी के मेडिसन विभाग से सेवानिवृत्त चिकित्सक डॉ. राजीव रैना ने बताया कि जिन व्यक्तियों में कोरोना वायरस के लक्षण नहीं मिलते हैं, उन्हें आईसोलेट किया जाता है. कई बार लक्षण बाद में सामने आते हैं या फिर नहीं भी. इस लिहाज से अगर कोई व्यक्ति भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाते हैं तो वे स्वयं अस्पताल आकर जांच करवाएं.
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